🔱 क्या आप जीवन की रुकावटों और नकारात्मकता से सुरक्षा का रास्ता ढूंढ़ रहे हैं? 🛡️
🔱 शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली में आयोजित रक्षा कवच पूजा और महायज्ञ के माध्यम से करें जीवन में संपूर्ण सुरक्षा का आह्वान 🛡️🔥
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और मन की शुद्धि के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। यह वह समय होता है जब शिव की पूजा, व्रत और जप से जीवन में संतुलन आता है और कई तरह की परेशानियाँ धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। पूरे महीने जो भी पूजा-पाठ किया जाता है, वह साधक के मन और कर्म को एक सही दिशा देता है। जैसे-जैसे सावन अपने आखिरी चरण में पहुंचता है, वैसे-वैसे इसका महत्व और बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि सावन के आखिरी दिनों में की गई पूजा जल्दी फल देती है और भगवान शिव की विशेष कृपा से जीवन में सुरक्षा और स्थिरता मिलती है।
ठीक इसी प्रकार हमारे सनातन धर्म में कुछ देवताओं को विशेष रूप से रक्षक और संकट से बचाने वाला माना गया है। इन शक्तियों में भगवान वीरभद्र और माता भद्रकाली का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। भगवान वीरभद्र, शिव के उस रूप से जुड़े हैं जो अन्याय और अपमान के विरोध में प्रकट हुए थे। उनका स्मरण करने से साधक के अंदर साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। वहीं माता भद्रकाली, देवी काली का एक रूप हैं जो बुरे समय में रक्षा करती हैं और डर, चिंता और नकारात्मकता को दूर करती हैं। जब इन दोनों शक्तियों की एक साथ पूजा की जाती है, तो एक मजबूत सुरक्षा घेरा बनता है जो व्यक्ति को भीतर और बाहर से सुरक्षित रखता है।
इसी उद्देश्य से श्री मंदिर के माध्यम से सावन के आखिरी दिन कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर ‘वीरभद्र–भद्रकाली रक्षा कवच पूजा और महायज्ञ’ का आयोजन किया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ यहां आकर माँ भद्रकाली की पूजा की थी और विजय की कामना की थी। जब उनकी मनोकामना पूर्ण हुई, तो उन्होंने कृतज्ञता स्वरूप माँ को अपने अश्व समर्पित किए। माना जाता है कि आज भी वहां विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा बनी हुई है। इसी दिव्य उर्जा और कृपा को अपने जीवन में आमंत्रित करने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और संपूर्ण कृपा का आह्वान करें।