😟 जब करियर में रुकावटें आने लगती हैं, तो साधारण फैसले भी भारी लगते हैं। सनातन मान्यता है कि ऐसी स्थिति भगवान शनि देव के कर्म और जीवन-सीख से जुड़ी होती है। शनि देव हमें धैर्य, अनुशासन और मेहनत का महत्व सिखाते हैं। लेकिन जब वे अपने बाल स्वरूप बाल शनि में पूजे जाते हैं, तब उनका स्वभाव कोमल और करुणामय माना जाता है। बाल शनि की पूजा से मन में स्पष्टता आती है, डर और झिझक दूर होती है और आगे बढ़ने का आत्मविश्वास मिलता है। ऐसा माना जाता है कि गुजरात के प्रसिद्ध हथला शनि देव मंदिर में बाल शनि की पूजा करने से अदृश्य बाधाएँ हटती हैं और करियर में रास्ते खुलते हैं।
🌑 शनि देव का पवित्र जन्मस्थान हाठला की दिव्य शक्ति
गुजरात का पावन धाम हथला शनि देव मंदिर भगवान श्री शनि देव के जन्मस्थान के रूप में पूजित है। पौराणिक मान्यता है कि यहीं पर शनि देव ने जन्म लिया और जब उन्होंने पहली बार अपनी दृष्टि अपने पिता सूर्य देव पर डाली, तो तत्काल ग्रहण लग गया और सूर्य का तेज मंद पड़ गया। इस अद्भुत घटना से जन्म के क्षण से ही शनि देव की अपार आध्यात्मिक शक्ति प्रकट हुई। उनके बाल रूप की पूजा इस जन्मस्थान पर अत्यंत शुभ मानी जाती है, क्योंकि बाल रूप में उनका स्वभाव अधिक करुणामय माना जाता है और वे सच्चे मन से की गई प्रार्थना से जल्दी प्रसन्न होते हैं।
इस पवित्र शनिवार, बाल शनि तैलाभिषेक और 18,000 शनि राशि शांति मंत्र जाप किए जाएंगे ताकि उनके कोमल और कल्याणकारी आशीर्वाद प्राप्त हों। तैल अभिषेक अर्थात तेल अर्पण शनि देव की उग्र ऊर्जा को शांत करता है और मंत्रोच्चारण का कंपन शांति तथा ग्रह दोषों को संतुलित करने की शक्ति उत्पन्न करता है। कहा जाता है कि जन्मस्थान पर यह पूजा करना, सीधे भगवान के समक्ष अपनी विनती रखने के समान ही फलदायी होता है। इससे करियर की बाधाएँ दूर होती हैं, भय कम होते हैं और जीवन में अगला कदम उठाने का साहस जागृत होता है।
यह दिव्य पूजा, श्री मंदिर द्वारा आयोजित, बाल शनि के करुणामय आशीर्वाद को आमंत्रित करती है ताकि आपके व्यावसायिक जीवन में आत्मविश्वास, स्पष्टता और निरंतर प्रगति प्राप्त हो सके।