हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है, इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जाग्रत होते हैं, और भगवान शिव सृष्टि के संचालन का दायित्व पुनः भगवान विष्णु को सौंपते हैं। इसी के साथ चतुर्मास का समापन भी होता है। इसी तिथि से धार्मिक अनुष्ठानों, मांगलिक कार्यों और शुभ मुहूर्तों का पुनः शुभारंभ होता है। यही कारण है कि इस तिथि पर प्रभु श्री हरि विष्णु की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनका दिव्य आशीष प्राप्त होता है। पुराणों के अनुसार भगवान सत्यनारायण श्री हरि विष्णु का ही एक रूप हैं। सत्यनारायण का अर्थ है सत्य रूपी नारायण अर्थात भगवान विष्णु का इस स्वरूप में दया, ममता, वात्सल्य, प्रेम के साथ दंड, क्रोध, युद्ध और विनाश जैसे भाव समाहित है। इसी कारणवश सत्यनारायण व्रत की कथा को बहुत महत्व दिया गया है। सत्यनारायण कथा की महिमा स्वयं भगवान सत्यनारायण ने नारद मुनि को सुनाई थी। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी पर सत्यनारायण कथा भाग लेने से घर में सुख-समृद्धि आती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। शास्त्रों में वर्णित है कि सत्यनारायण कथा करने से व्यक्ति को हजारों वर्षों तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
इसके साथ ही एकादशी तिथि पर नवग्रह शांति पूजा करना भी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु का प्रत्येक स्वरूप नौ ग्रहों को प्रदर्शित करता है। सूर्य की तरह, भगवान विष्णु जीवन और ऊर्जा प्रदान करते हैं। चंद्रमा की तरह उनकी शांत और स्नेहपूर्ण प्रकृति मन को शांति देती है। मंगल से उनका साहस और शक्ति झलकती है, जैसा कि नरसिंह और परशुराम अवतारों में दिखता है। बुध से जुड़ी उनकी बुद्धिमानी मत्स्य अवतार में दिखाई देती है। गुरु ग्रह के गुण, ज्ञान और धर्म का मार्गदर्शन, श्रीकृष्ण के रूप में व्यक्त होते हैं। शुक्र से उनकी मोहक और प्रेमपूर्ण छवि मिलती है, शनि का धैर्य और तपस्या कूर्म और वामन अवतार में परिलक्षित होता है। राहु से जुड़ी उनकी मोहिनी माया और केतु से जुड़े उनके वामन अवतार में विनम्रता और मुक्ति का संदेश मिलता है। इसी कारणवश माना जाता है कि भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति अपनी कुंडली के सभी ग्रह दोषों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इसलिए देवउठनी एकादशी के शुभ अवसर पर श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में सत्यनारायण कथा और नवग्रह शांति पूजा का आयोजन किया जा रहा है, क्योंकि भगवान शिव इस तिथि पर ही भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालन का कार्यभार सौंपते हैं, इसलिए ज्योतिर्लिंग में यह पूजा करने से यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकती है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान विष्णु से पारिवारिक सद्भाव और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।