🪈इस जन्माष्टमी पर संतान, समृद्धि और पारिवारिक सुख के लिए श्री कृष्ण का आशीर्वाद पाएं 🙏
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण की दिव्य ऊर्जा के साथ असीम भक्ति, उत्सव और जुड़ाव का समय है। दुनियाभर में भक्त उनके जन्म का भव्य उत्सव मनाने एक साथ आते हैं, उपवास रखते हैं, भजन गाते हैं। इस मौके पर भक्त अपने घरों को सजाते हैं और कन्हैया जी की चंचल बाल लीलाओं का ध्यान करते हैं। यह कृष्ण जी के प्रेम और आशीर्वाद में डूबने का क्षण है। इस साल मथुरा के पवित्र श्री राधा दामोदर मंदिर में दिव्य माखन भोग नंदलीला सेवा में भाग लेकर आप अपने मन को कृष्णमय और घर को मथुरा जैसा एहसास दे सकते हैं।
श्री कृष्ण की सभी बाल लीलाओं में नंदलीला सबसे अलग है। यह कृष्ण जी के नटखट स्वभाव की एक सुंदर कहानी है, कि कैसे गोकुल में नंद और यशोदा ने उन्हें प्यार से पाला, और कैसे एक बच्चे के रूप में भी, उन्होंने सभी के दिलों को आनंद से भर दिया। उनके बचपन की सबसे प्यारी कहानियों में से एक है मक्खन के प्रति उनका प्रेम।
कृष्ण जी को 'माखनचोर' की उपाधि इसलिए मिली, क्योंकि वे गोकुल में लोगों के घरों में घुसकर मक्खन चुराते थे और अपने मित्रों में बाँटकर जहाँ भी जाते, खुशियाँ फैलाते थे। अब, जिस प्रकार कृष्ण के भक्त उनके सम्मान में माखन तैयार करते हैं, उसी प्रकार दिव्य माखन भोग एक पवित्र प्रसाद बन जाता है, जो कृष्ण जी की दिव्य उपस्थिति को आपके घर बुलाता है। जब आप उनकी बाल लीलाओं की जन्मस्थली, मथुरा स्थित श्री राधा दामोदर मंदिर में दिव्य माखन भोग अर्पित करते हैं, तो आप श्री कृष्ण के प्रेम और दिव्य ऊर्जा के एहसास से जुड़ जाते हैं।
🪈 यह केवल एक अनुष्ठान नहीं है - यह कृष्ण जी के बाल रूप की कृपा का निमंत्रण है, पारिवारिक समृद्धि, उर्वरता और स्थायी आनंद के लिए उनका आशीर्वाद है। श्री मंदिर के माध्यम से दिव्य माखन भोग नंदलीला सेवा में भाग लेकर आप स्वयं को कृष्ण जी के सृजन, नवीनीकरण और असीम प्रेम के दिव्य गुणों से जोड़ते हैं। इस पवित्र मंदिर में प्रसाद उस भूमि से वितरित होता है, जहाँ कृष्ण जी ने अपना शुरुआती जीवन बिताया था। ये सभी तत्व इसे एक शक्तिशाली और साल में एक बार आने वाला सुनहरा अनुष्ठान बनाते हैं।