🌟 जब शादी में रुकावटें आ रही हों और मन लगातार अशांत रहने लगे, तो समझिए अब समय है किसी गहरी और सच्ची आध्यात्मिक शरण लेने का🌟
🌟 मथुरा में स्थित श्री राधा दामोदर मंदिर में 21 ब्राह्मणों द्वारा होने वाला यह विशेष जन्माष्टमी अनुष्ठान, जीवन की उलझनों और मन की बेचैनी को शांत करने का एक सशक्त माध्यम बन सकता है। 🌟
जब जीवन में रिश्तों में खटपट हो, मन बेचैन रहने लगे और भक्ति में भी मन न लगे तब ज़रूरत होती है किसी ऐसी आध्यात्मिक शरण की जो भीतर से स्थिरता और शांति दे सके। कृष्ण जन्माष्टमी का पावन दिन ठीक ऐसा ही अवसर होता है, जब भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में बैठकर मन को संबल और जीवन को नई दिशा मिल सकती है। यह वही तिथि है जब भगवान श्रीकृष्ण का धरती पर जन्म हुआ था। शास्त्रों में यह दिन प्रेम, करुणा और धर्म की पुनः स्थापना का प्रतीक माना गया है। जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से मन को शांति और रिश्तों में सामंजस्य की अनुभूति हो सकती है।
इस जन्माष्टमी पर श्रीमंदिर द्वारा वृंदावन स्थित राधा दामोदर मंदिर में 21 ब्राह्मणों द्वारा 108 नामावली पूजा और तुलसी माला सेवा का आयोजन किया जा रहा है। यह मंदिर वृंदावन के सात प्रमुख और प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है। यहाँ विराजित गोवर्धन शिला वह पावन प्रतीक है, जिसे स्वयं श्रीकृष्ण ने सनातन गोस्वामी को दिया था।
🔹 श्रीकृष्ण के 108 नामों से पूजन: श्रीकृष्ण के 108 नामों का श्रद्धापूर्वक उच्चारण और पूजन मन को स्थिर करता है और भीतर भक्ति, विश्वास और सहज प्रेम की भावना को जगाता है। यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी मानी जाती है जो अपने वैवाहिक जीवन में मिठास और आपसी समझ की तलाश में हैं।
🔹 तुलसी माला सेवा: तुलसी माता को श्रीकृष्ण की प्रिय मानी जाती हैं। जन्माष्टमी पर तुलसी माला अर्पित करना एक शुद्ध और शांत भाव का प्रतीक होता है। यह सेवा मन की चंचलता को शांत करती है, ध्यान को केंद्रित करती है और पारिवारिक संबंधों में संतुलन लाने में सहायक मानी जाती है।
इस विशेष दिन पर की गई यह सेवा एक शांत और आंतरिक जुड़ाव का माध्यम बन सकती है। यह न केवल पूजा है, बल्कि जीवन में प्रेम, भक्ति और संतुलन के भाव को फिर से जगाने का एक प्रयास भी है। इस जन्माष्टमी, श्रीकृष्ण के चरणों में श्रद्धा के साथ तुलसी माला अर्पित करें और 108 नामों की पूजा के माध्यम से अपने मन और जीवन में एक नई ऊर्जा और शांति का अनुभव करें।