🕉️ सावन पूर्णिमा: शिव, सूर्य, भैरव, गणेश और गंगा रक्षा यज्ञ है इस साल का आखिरी अवसर
हिंदू धर्म में सावन को महादेव का सबसे प्रिय और पवित्र महीना माना गया है। सावन का महीना भक्त और भगवान के बीच एक आध्यात्मिक पुल का काम करता है। यदि आप इस पूरे महीने व्यापार या गृहस्थी के कामकाज में उलझे रहे तो इस पूर्णिमा को शिव जी सहित 5 देवों की आराधना का आखिरी अवसर है। जीवन में बुरी नजर जैसे प्रभावों से सबकुछ अस्त-व्यस्त हो रहा हो तो भगवान शिव, सूर्य, भैरव, गणेश जी और गंगा रक्षा यज्ञ अनुष्ठान बेहद फलदायी हो सकता है।
🕉️ सनातन परंपरा में 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन इनमें से 5 देवता ऐसे हैं, जिनकी पूजा किसी भी शुभ कार्य या सिद्धि की कामना के लिए ज़रूरी मानी गई है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इन पंच देवों की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी हो सकती हैं और उन्हें समृद्धि की सही दिशा मिलती है। पंच देवों में भगवान गणेश, शिव, सूर्य और भैरव और मां गंगा जी हैं, जो भक्तों को भय और अशांति से राहत दिला सकते हैं। कुछ स्थानों पर पंच देवों में ब्रह्मा जी, माँ दुर्गा (शक्ति) को भी शामिल किया गया है।
🕉️ इन पंच देवों में अविरल बहने वालीं और भक्तों के पापों का नाश करने वालीं मां गंगा भी शामिल हैं, जो देवतुल्य नदी के रूप में पूजी जाती हैं। मान्यता है कि मां गंगा के जल से स्नान और आचमन मात्र से भक्तों को ‘दुनिया के मायाजाल’ से राहत का एहसास होता है। जब इन पंच देवों की आराधना सावन के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा को संपन्न हो तो जीवन में बुरे प्रभावों से रक्षा और आध्यात्मिक कवच का आशीष मिलता है। यह अनुष्ठान महादेव की नगरी काशी के प्राचीन पंच रत्न मंदिर में आयोजित हो रहा है, जो इसकी शक्ति और फल को कई गुना बढ़ा सकता है। पूर्णिमा तिथि ऐसे अनुष्ठानों के लिए सबसे उत्तम मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सच्चे मन से की गई आराधना सीधे ईश्वर तक पहुंचती है।
🕉️ इन पंच देवों में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, उसके बाद मां गंगा, भगवान शिव, सूर्य नारायण और भैरव देव पूजे जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इन पंच देवों की पूजा और रक्षा यज्ञ से इन सभी देवों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच तैयार होता है। यह कवच परिवार में आर्थिक स्थिरता और मानसिक शांति की दिशा दिखाता है। कहते हैं कि इस अनुष्ठान की मदद से भय और कलेशों से राहत मिलनी शुरू हो जाती है और इंसान सफलता की दिशा में बिना किसी रुकावट के बढ़ना शुरू कर देता है।
श्री मंदिर के माध्यम से जीवन में बुरे प्रभावों से रक्षा और आध्यात्मिक सुरक्षा कवच का आशीष पाने के लिए पंच देव रक्षा कवचम अनुष्ठान में भाग लें। यह इस साल का सबसे सुनहरा और आखिरी अवसर है।