मां काली मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी हैं। पुराणों के अनुसार, मां काली असुरों और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश और अपने भक्तों के जीवन में उद्धार करने वाली देवी है। यह एक मात्र ऐसी शक्ति हैं जिनसे स्वयं काल भी भय खाता है। पौराणिक कथानुसार, रक्तबीज नामक एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे यह वरदान प्राप्त था कि उसके खून की हर बूंद से एक नया राक्षस पैदा हो सकता था। देवता उसे हराने में असमर्थ थे क्योंकि जब भी उसे घायल करते, उसका खून जमीन पर गिरते ही और राक्षस पैदा हो जाते। इससे रक्तबीज को हराना लगभग असंभव हो गया था। इस संकट को समाप्त करने के लिए, माँ काली प्रकट हुईं और उन्होंने अपनी जीभ फैलाकर युद्धभूमि पर फैला दी, जिससे रक्त की कोई भी बूंद जमीन पर नहीं गिरी। इस तरह, उन्होंने रक्तबीज को पुनर्जन्म से रोक दिया और उसे पराजित कर संसार में शांति स्थापित की। यही कारण है कि भक्त नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए मां काली की उपासना करते हैं। शास्त्रों में मां काली को प्रसन्न करने के लिए मां काली मूल मंत्र जाप और काली कर्पूर अष्टकम का पाठ करना अत्यंत प्रभावशाली बताया गया है। कहते हैं काली कर्पूर अष्टकम में इतनी शक्ति है कि इसका पाठ करने वाला व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से अत्यंत बलवान हो सकता है जिससे वो निर्भयता पूर्वक समस्याओं का सामना करता है और जीवन में हर प्रकार के भौतिक सुखों का आनंद प्राप्त कर सकता है।
वही काली मूल मंत्र देवी काली को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है, जिसके जाप से मां काली द्वारा नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कोलकाता में स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में मां काली का सबसे बड़ा मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव देवी सती के जले हुए शरीर को लेकर दुखी होकर तांडव नृत्य कर रहे थे, तब उनके दाहिने पैर का अंगूठा इसी स्थान पर गिरा था। इसी कारण से यह स्थान पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। कहा जाता है कि मां काली के इस मंदिर में पूजा करने से देवी काली का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में 11,000 माँ काली मूल मंत्र जाप और काली कर्पूर अष्टकम का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और मां काली द्वारा निर्भयता प्राप्ति एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीष प्राप्त करें।