सनातन धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को समर्पित है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, इस दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि इस दिन बाबा भैरव की पूजा करने से वो शीघ्र प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव के स्वरूप होने के कारण इस शुभ दिन पर इनकी पूजा महाकाल की नगरी उज्जैन में कराना अत्यंत प्रभावशाली हो सकता है क्योंकि बाबा काल भैरव को उज्जैन नगरी का सेनापति कहा जाता है, इसलिए बाबा काल भैरव को महाकाल के नगरी की देख-रेख करते हैं। दरअसल, यहां विराजित काल भैरव का मंदिर लगभग छह हजार साल पुराना है। यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां काल भैरव की मूर्ति को न सिर्फ मदिरा चढ़ाई जाती है, बल्कि बाबा भैरव इसे ग्रहण भी करते हैं। वर्षों से भक्त अपनी मनोकामना लेकर इस मंदिर में आते हैं और बाबा उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं। हालांकि, भगवान भैरव तांत्रिकों के लिए सबसे पसंदीदा देवताओं में से एक हैं, इसलिए इन्हें तंत्र साधना का गुरु भी माना गया है।
वहीं, काल भैरव जयंती के शुभ अवसर पर भक्त भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के विभिन्न अनुष्ठान करते हैं जिसमें 1008 सहस्त्र नामावली पूजन सर्वश्रेष्ठ है। मान्यता है कि भगवान भैरव के सहस्त्रनाम का पाठ करने से व्यक्ति शिव साधना में लीन हो जाता है तथा मोक्ष प्राप्त करता है। इसके अलावा भैरव सहस्त्र नामावली पूजा करने से भक्तों को भय दूर करने, नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। वहीं इस पाठ के साथ विशेष यज्ञ किया जाता है, जो वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाता है, और भक्तों के जीवन से नकारात्मकता को दूर करता है। इसलिए, काल भैरव जयंती के शुभ अवसर पर उज्जैन के काल भैरव मंदिर में इस अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और इस विशेष दिन पर बाबा भैरव का आशीष पाएं।