सनातन धर्म में त्रयोदशी तिथि को अत्यंत पवित्र माना गया है। हर महीने की त्रयोदशी शुभ होती है, लेकिन जब यह तिथि शनिवार को आती है तो इसे शनि त्रयोदशी कहते हैं। इस दिन शनि देव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूजा करने से जीवन की कठिनाइयाँ हल होती हैं और मन को शांति मिलती है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल देते हैं। अच्छे कर्म होने पर जीवन में तरक्की, आर्थिक स्थिरता और मानसिक संतुलन मिलता है लेकिन जब कुंडली में शनि की स्थिति ठीक नहीं होती, या साढ़ेसाती और ढैय्या का समय चल रहा होता है, तो जीवन में परेशानियाँ, आर्थिक संकट और चिंता बढ़ सकती है।
ऐसे समय में शनि त्रयोदशी पर की गई पूजा सहारा देती है और नकारात्मक प्रभाव कम करने में मदद करती है। इस शनि त्रयोदशी पर शनिदेव की जन्मस्थली माने जाने वाले हथला शनि देव मंदिर में इस विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शनि देव का तिल और तिल तेल से अभिषेक किया जाएगा, शांति हवन होगा और शनि बीज मंत्रों का जाप किया जाएगा। तिल और तिल तेल शनि देव को प्रिय माने जाते हैं। हवन की पवित्र अग्नि और वैदिक मंत्रों से वातावरण शुद्ध होता है और मन को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
जिन लोगों पर साढ़ेसाती या ढैय्या का असर है, उनके लिए यह अनुष्ठान खास महत्व रखता है। माना जाता है कि इस पूजा से रुके हुए काम धीरे-धीरे पूरे होने लगते हैं, आर्थिक परेशानी हल हो सकती है, सेहत में सुधार आता है और परिवार में सामंजस्य बढ़ सकता है।
🙏 आप भी इस शनि त्रयोदशी पूजा में सम्मिलित होकर शनि देव की कृपा के लिए प्रार्थना कर सकते हैं और जीवन में शांति व संतुलन की कामना कर सकते हैं।