वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब राहु या केतु कुंडली में अशुभ स्थिति में होते हैं तो जीवन में भ्रम, डर, मानसिक तनाव, असमंजस और अनचाही रुकावटें आने लगती हैं। इन प्रभावों से जुड़ी एक सामान्य स्थिति काल सर्प दोष कहलाती है। यह दोष तब बनता है जब सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। कहा जाता है कि यह दोष जीवन में बार-बार देरी, मानसिक चिंता, स्वास्थ्य समस्याएं, संबंधों में तनाव और कार्यक्षेत्र में असफलता का कारण बनता है।
स्वाति नक्षत्र के दौरान यह पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र राहु का नक्षत्र है और यह स्वतंत्रता, लचीलापन और बाधाओं को पार करने की शक्ति से जुड़ा है। इस नक्षत्र में की गई पूजा राहु और काल सर्प दोष को शांत करने में विशेष प्रभावी मानी जाती है। इससे मानसिक शांति, स्पष्ट सोच, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
यह विशेष पूजा तीन प्रमुख अनुष्ठानों का संयोजन है:
🔹 18,000 राहु बीज मंत्र जाप: राहु को शांत करने और उसके अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए।
🔹 काल सर्प दोष शांति पूजा: काल सर्प दोष से उत्पन्न बाधाओं और कर्म संबंधी रुकावटों से राहत का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।
🔹 दशांश हवन: जीवन में सकारात्मकता, स्थिरता और सुरक्षा का आह्वान करने के लिए।
यह सभी अनुष्ठान उत्तराखंड के पौराणिक राहु पैठाणी मंदिर में संपन्न किए जाते हैं। यह वही स्थान माना जाता है जहाँ समुद्र मंथन के समय स्वर्भानु नामक असुर का सिर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से अलग होकर गिरा था और यहीं राहु देव का स्वरूप प्रकट हुआ।
🙏 इस पूजा के लाभ
यह पूजा राहु और काल सर्प दोष के प्रभाव को शांत करती है, मानसिक तनाव को कम करती है, निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाती है और जीवन में स्थिरता तथा स्पष्टता लाती है।
यदि आप लगातार देरी, भ्रम, या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं तो श्री मंदिर द्वारा आयोजित इस विशेष पूजा में भाग लेकर राहु देव के आशीर्वाद से शांति और कर्म मुक्ति की प्राप्ति करें।