क्या आप अपने बच्चे की खुशी और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं? आज ही माँ कुष्मांडा की दिव्य सुरक्षा का आह्वान करें।
माता–पिता हमेशा अपने बच्चे की खुशी, सुरक्षा और अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं। शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्मांडा को समर्पित है। इस दिन आप ब्रह्मांड की तेजस्वी माँ की शरण में जाकर अपने बच्चों के लिए उनका विशेष आशीर्वाद पा सकते हैं। उनके नाम में ही सृष्टि का रहस्य छिपा है और माना जाता है कि उनकी मुस्कान ने ब्रह्मांड के अंधकार को मिटाकर उसमें प्रकाश और जीवन का संचार किया। इस पवित्र दिन उनकी पूजा करने से उनकी जीवनदायिनी ऊर्जा आपके बच्चे को चारों ओर से घेरे रहती है, जिससे वह सुरक्षित, स्वस्थ और प्रसन्न महसूस करता है।
पुराणों में माँ कुष्मांडा को सारी ऊर्जा और जीवन का मूल स्रोत बताया गया है। उनका आशीर्वाद विशेष रूप से परिवार और बच्चों के लिए बहुत शक्तिशाली माना जाता है। इस पूजा में पुत्र कामेष्टि हवन भी शामिल है। यह वही पवित्र हवन है जो राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए किया था। यह दिन और भी शुभ है क्योंकि यह गुरुवार और विशाखा नक्षत्र के संयोग में पड़ रहा है। गुरुवार और विशाखा नक्षत्र दोनों ही देवताओं के गुरु, बृहस्पति के अधीन माने जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु बृहस्पति का आशीर्वाद ज्ञान, मार्गदर्शन और बाधाओं को दूर करने वाला होता है। इसलिए इस दिन किया गया हवन बच्चों की समृद्धि, शिक्षा और अच्छे भविष्य के लिए बहुत फलदायी माना जाता है।
यह विशेष पूजा भगवान विष्णु के पवित्र स्थल एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में की जाएगी। इस अनुष्ठान में कुष्मांडा कवच पाठ भी होगा। ‘कवच’ का अर्थ है दिव्य सुरक्षा कवच, इसके माध्यम से माँ कुष्मांडा से प्रार्थना की जाती है कि वे बच्चों को परेशानियों, बीमारियों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखें। माँ की रचनात्मक ऊर्जा, पुत्र कामेष्टि हवन की शक्ति और गुरुवार–विशाखा नक्षत्र का शुभ संयोग मिलकर बच्चों को सुरक्षा, सुख–समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद देने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है।
श्री मंदिर के माध्यम से शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन इस पवित्र पूजा में भाग लें। अपने बच्चों की खुशी, सुरक्षा और सफलता के लिए प्रार्थना करें और माँ कुष्मांडा की दिव्य ऊर्जा को उनके जीवन में आमंत्रित करें।