🌑 कार्तिक अमावस्या हिन्दू पंचांग में विशेष आध्यात्मिक शक्ति रखती है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि को जीवन और पितृ लोक के बीच की सीमा बहुत पतली हो जाती है और जीवित लोगों की प्रार्थनाएँ सीधे पितरों तक पहुँच जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ कर्म जैसे पिंड दान, त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बली करने से अपूर्ण आत्माओं को शांति मिलती है और वे मोक्ष की ओर मार्गदर्शित होती हैं। इसलिए कार्तिक कृष्ण अमावस्या पितृ शांति अनुष्ठानों के लिए बहुत शुभ मानी जाती है और यह पूर्वजों की ऊर्जा को शांत करने का अवसर प्रदान करती है।
गया में यह अनुष्ठान क्यों किया जाना चाहिए
💫 प्राचीन हिन्दू ग्रंथों जैसे गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु स्वयं कहते हैं कि गया शहर उनके दिव्य पदचिह्न से पवित्र है जिसे विष्णुपद कहा जाता है। यहाँ भक्ति भाव से किया गया कोई भी पिंड दान स्थायी शांति प्रदान करता है। भगवान राम ने भी अपने पिता राजा दशरथ के लिए फाल्गु नदी के तट पर श्राद्ध किया था। इसलिए गया पिंड दान में शास्त्रीय अधिकार और भावनात्मक पवित्रता दोनों हैं। यह अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और कर्तव्य निभाने का कार्य है।
पूजा के अनुष्ठान और उनके महत्व
✨ नारायण बली, त्रिपिंडी श्राद्ध और गया पिंड दान का संयोजन तीन तरह की आध्यात्मिक शांति लाता है। नारायण बली से असंतुष्ट आत्माओं को मार्ग मिलता है, त्रिपिंडी श्राद्ध से तीन पीढ़ियों की आत्माओं को शांति मिलती है और पिंड दान से आत्मा को प्रतीकात्मक भोजन और जल प्राप्त होता है। धमारण्य वेदी में तिल, जल और पिंड से किए जाने वाले ये अनुष्ठान पितृ मोक्ष का मार्ग खोलते हैं और भक्त के परिवार में स्थिरता, शांति और सतत प्रगति लाने में मदद करते हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लेकर आप पूर्वजों की शांति और अपने भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।