🚩 श्रीराम नवमी के शुभ अवसर पर, रामायण यात्रा के पाँच पवित्र तीर्थों में दिव्य पूजा में शामिल हों🙏
भगवान श्रीराम का जीवन धर्म, भक्ति और कर्तव्य की सर्वोच्च मिसाल है। उनका जन्म अयोध्या में हुआ और रावण पर विजय प्राप्त कर वे पुनः अयोध्या लौटे। जहाँ-जहाँ उन्होंने चरण रखे, वह स्थान दिव्य ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति से भर गया। इसलिए, इस राम नवमी पर पहली बार, श्रीराम के पवित्र यात्रा मार्ग से जुड़े पाँच तीर्थ स्थलों—अयोध्या, चित्रकूट, पंचवटी, किष्किंधा (आज का हम्पी) और रामेश्वरम में भव्य पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह पूजा हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन को पुनः अनुभव करने का अद्भुत अवसर प्रदान करेगी।
जन्म से विजय तक – श्रीराम की पावन भूमि की यात्रा
🔸 अयोध्या – पवित्र जन्मभूमि
अयोध्या वह भूमि है जहाँ भगवान श्रीराम ने अवतार लिया। यहाँ उनकी जन्मोत्सव पर भव्य पूजा होगी, जिससे धर्म, साहस और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलेगी।
🔸 चित्रकूट – भक्ति और त्याग की भूमि
चित्रकूट वह पावन भूमि है जहाँ भरत मिलाप हुआ था। भरत जी ने श्रीराम के बिना राज करने से इनकार कर दिया और उनकी चरण पादुकाओं को अयोध्या की गद्दी पर विराजित किया। यह स्थान प्रेम, त्याग और धर्म का प्रतीक है।
🔸 पंचवटी – महान परिवर्तन का स्थान
पंचवटी वह स्थान है जहाँ रावण ने ब्राह्मण का रूप धारण कर माता सीता को लक्ष्मण रेखा पार करने के लिए छलपूर्वक प्रेरित किया और उनका हरण कर लिया। श्रीराम जब सीता माता को वहाँ न पाकर लौटे, तो यह घटना उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ साबित हुई, जिससे अंततः धर्म और अधर्म के बीच महायुद्ध का आरंभ हुआ।
🔸 किष्किंधा – श्रीराम और हनुमान जी का मिलन स्थल
किष्किंधा वह स्थान है जहाँ श्रीराम और हनुमान जी का भेंट हुई। यहीं पर उन्होंने सुग्रीव से मित्रता कर वानर सेना का गठन किया, जिसने लंका विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
🔸 रामेश्वरम – विजय का मार्ग
रामेश्वरम वह पवित्र भूमि है जहाँ श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले भगवान शिव की पूजा की थी। यहीं पर रामसेतु का निर्माण हुआ, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
इस दिव्य पूजा का महत्व
इन पाँच पवित्र तीर्थों पर की जाने वाली यह विशेष पूजा सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है, जीवन की बाधाओं को समाप्त करती है, और निर्भयता प्रदान करती है। यह भगवान श्रीराम की कृपा से हमें शक्ति, ज्ञान और सहनशीलता का आशीर्वाद दिलाती है। साथ ही, यह पूजा सफलता, सुरक्षा और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है।