🚩 दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद चाहते हैं?
🚩 सावन के आखिरी दिन 56 भोग, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय भव्य श्रृंगार का अनुभव करें 🌿
जैसे-जैसे सावन का पवित्र महीना समापन की ओर बढ़ रहा है, इसका आखिरी दिन आध्यात्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। सावन शिव जी को समर्पित है और माना जाता है कि महीने का यह अंतिम दिन स्वास्थ्य, शांति और सुरक्षा के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शुभ समय है। यदि आप इस पूरे सावन व्यापार या गृहस्थी में उलझे रहे तो यह आराधना इस साल का आखिरी अवसर है। ऐसा माना जाता है कि सावन के दौरान की गई प्रार्थनाएं और अनुष्ठान जल्द ईश्वरीय कृपा का रास्ता खोलते हैं, जीवन को समृद्धि और आनंद से भरने की शक्ति रखते हैं।
सनातन धर्म में भगवान शिव को न केवल संहारक के रूप में जाना जाता है, बल्कि उन्हें आरोग्य, मुक्ति और ‘करुणा के देवता’ के रूप में भी जाना जाता है। वे त्रिनेत्रधारी योगी हैं, जो मृत्यु को रोक सकते हैं, रोगों को शांत कर सकते हैं और अपने भक्तों को भय से राहत दिला सकते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए, शास्त्रों में विभिन्न अनुष्ठानों का वर्णन किया गया है, जिनमें श्रृंगार सेवा अतुलनीय है।
इसके साथ ही अनुष्ठान में भगवान शिव को 56 प्रकार के भोग अर्पित किए जाएंगे। 56 भोग अर्पित करना केवल विभिन्न व्यंजन प्रस्तुत नहीं है, इसका एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ है। हमारे पास पाँच ज्ञानेंद्रियाँ, पाँच कर्मेंद्रियाँ और एक मन है। जब हम 56 भोग अर्पित करते हैं तो यह हमारी सभी इंद्रियों और मन को भगवान की सेवा और भक्ति में समर्पित करने का प्रतीक है। ये प्रसाद उन साधनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनके माध्यम से हम जीवन का गहराई से अनुभव करते हैं। इस प्रकार, 56 भोग अर्पित करना भगवान के प्रति पूर्ण भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। इसे ध्यान में रखते हुए, श्री मंदिर सावन के अंतिम दिनों में भव्य श्रृंगार और 56 भोग सेवा का आयोजन कर रहा है। यह पवित्र अनुष्ठान भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक - ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में होगा।
आख़िर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही क्यों? 🔱🕉️
ऐसी मान्यता है कि ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक अत्यंत पवित्र स्थल है, जहाँ माँ नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। पुराणों में वर्णित है कि इक्ष्वाकु वंश के राजा मंदाता ने यहीं कठोर तप करके अपने वंश को रोग और असमय मृत्यु के संकट से मुक्त कराया था। इन्हीं आध्यात्मिक और ऐतिहासिक कारणों से यह विशेष अनुष्ठान ओंकारेश्वर में संपन्न हो रहा है, ताकि मंत्रों की शक्ति और इस तीर्थ की ऊर्जा श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा आध्यात्मिक फल दे सके।
🔱 सावन के अंतिम दिन श्री मंदिर द्वारा आयोजित होने जा रहे इस महाअनुष्ठान में भाग लें और महादेव से पाएं अपने परिवार के बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद 🙏🕉️