🙏 सनातन धर्म में वर्ष का अंतिम सोमवार एक पावन द्वार माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भक्त बीते वर्ष के कर्मों का भार प्रभु शिव को अर्पित कर, नए वर्ष में उनकी कृपा के साथ प्रवेश करते हैं। जब यह अंतिम सोमवर आता है, तब की गई हर प्रार्थना, हर मंत्र जप और हर अर्पण विशेष फल देने वाला माना जाता है। इस अत्यंत शुभ दिन पर एक विशेष रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें एक अद्भुत संकल्प लिया गया है। इसमें इक्कीस विद्वान ब्राह्मण एक साथ रुद्र पाठ करेंगे और 21 पवित्र द्रव्यों से भगवान शिव का भव्य अभिषेक किया जाएगा। इसके साथ ही पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का एक लाख आठ बार जप किया जाएगा।
ऐसा माना जाता है कि यह दुर्लभ संयोग नकारात्मकता को शांत करता है, कर्म बाधाओं को दूर करता है और जीवन में स्थिरता लाता है। जब यह शक्तिशाली अनुष्ठान किसी सामान्य स्थान पर नहीं, बल्कि ज्योतिर्लिंग में किया जाता है, तो इसका प्रभाव और भी गहरा हो जाता है। श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में किया गया यह रुद्राभिषेक विशेष सुरक्षा, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने वाला माना जाता है। भक्तों की ऐसी धारणा है कि यहाँ की गई एक सच्ची प्रार्थना कई स्थानों की प्रार्थनाओं के समान फल देती है। वर्ष 2025 के अंतिम सोमवार को यह अवसर आपको प्रभु शिव की कृपा के साथ नए वर्ष की शुरुआत करने का आमंत्रण देता है। इस महापूजा में अपनों की भलाई और उन्नति के लिए ज्यादातर भक्त इसे परिवार के साथ चुनते हैं।
इस विशेष अभिषेक में जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, बिल्व पत्र, चंदन, पुष्प, नारियल जल, गन्ने का रस, भस्म, फल, अक्षत, सरसों का तेल, नींबू रस, गुलाब जल, हल्दी जल, गेहूं आदि पवित्र द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। ये सभी द्रव्य जीवन के अलग अलग पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, समृद्धि, संबंध और मानसिक शांति का प्रतीक माने जाते हैं। ज्योतिर्लिंग में किया गया यह अभिषेक केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि स्वयं के भीतर शांति और संतुलन अनुभव करने का एक दिव्य अवसर माना जाता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष रुद्राभिषेक और मंत्र जप में सहभागी बनकर, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें और जीवन में सही दिशा, संतुलन और शांति का अनुभव करें।