🍀 सावन के आखिरी सोमवार को 21 द्रव्य महा रुद्राभिषेक है साल का सबसे दुर्लभ अवसर
सावन हिंदू पंचांग का सबसे पवित्र महीना माना गया है, जो भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। सावन के सभी सोमवार भक्तों के लिए महत्व रखते हैं और बेहद पुण्यदायी माने गए हैं। यदि आप सावन के पिछले सोमवारों को पूजा-आराधना का समय नहीं निकाल पाए तो आखिरी सोमवार घर बैठे शिव जी की शरण में जाने का दुर्लभ अवसर है। मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवार को 21 द्रव्य महारुद्राभिषेक भोले बाबा की कृपा और आशीर्वाद को कई गुना बढ़ा सकता है।
जब इस आराधना से 1 लाख 8 ‘ॐ नमः शिवाय’ जाप की शक्ति जुड़ती है तो यह अनुष्ठान को और ज्यादा शिवमयी बना देती है। सावन के आखिरी सोमवार को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में ख़ास अनुष्ठान का आयोजन होने जा रहा है, यह मौका इस पूरे साल अब नहीं मिलने वाला है।
🌺 सावन में रुद्राभिषेक और पंचाक्षरी मंत्र जाप क्यों किया जाता है?
सावन में भगवान शिव के रुद्राभिषेक अनुष्ठान को सबसे फलदायी माना जाता है। इस ख़ास अनुष्ठान में 21 पवित्र द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है, जो भगवान शिव की आराधना का प्रभावशाली माध्यम माना गया है। इस अभिषेक में हर एक वस्तु का अपना विशेष महत्व है। इसी तरह, ‘ॐ नमः शिवाय’ पंचाक्षरी मंत्र का जाप मन को शांत करता है और भक्ति को गहरा बना सकता है।
🔱 रुद्राभिषेक में शामिल 21 पवित्र द्रव्यों की खासियत: 🔱
1️⃣ जल– यह शुद्धता और भक्ति का प्रतीक होता है। यह भगवान शिव के रौद्र रूप को शांत कर सकता है और ऐसा माना जाता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा की शुद्धि में मदद मिलती है।
2️⃣ दूध– यह शुद्धता और पोषण का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव को शांत करने के लिए इसे अर्पित किया जाता है और यह दीर्घायु और समृद्धि की कामना से जुड़ा होता है।
3️⃣ शहद – जीवन में मिठास और समरसता का प्रतीक। इसे अर्पित करने से स्पष्ट संवाद और ईश कृपा प्राप्त होने की मान्यता है।
4️⃣ घी – शुद्धता, बुद्धि और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक। आंतरिक शुद्धि और शक्ति के लिए अर्पित किया जाता है।
5️⃣ दही – समृद्धि और शीतलता का प्रतीक। इसे स्थिरता और पारिवारिक कल्याण की कामना के साथ चढ़ाया जाता है।
6️⃣ गन्ने का रस – मिठास और सकारात्मकता का प्रतीक। इसे प्रेम और रिश्तों में सामंजस्य के लिए अर्पित किया जाता है।
7️⃣ नारियल पानी – सादगी और शुद्धता का प्रतीक। इसे चढ़ाने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक स्पष्टता मिल सकती है।
8️⃣ चंदन – शांति, ठंडक और आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक। यह मन को शांत करता है और भक्ति को गहरा बना सकता है।
9️⃣ गुलाब जल – प्रेम और भक्ति का प्रतीक। इसे अर्पित करने से नकारात्मकता से सुरक्षा और मन की शांति मिल सकती है।
🔟 गंगाजल – सबसे पवित्र तत्वों में से एक। इसे आत्मिक शुद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है और यह कर्मों से मुक्ति की भावना से जुड़ा है।
1️⃣1️⃣ गाय का दूध – पोषण और सात्त्विक ऊर्जा का प्रतीक। इसे स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उत्थान की कामना से चढ़ाया जाता है।
1️⃣2️⃣ शक्कर – ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक। यह आभार और जीवन में मिठास के भाव के साथ अर्पित की जाती है।
1️⃣3️⃣ भस्म (विभूति) – जीवन की नश्वरता और मोक्ष के पथ का प्रतीक। इसे चढ़ाने से आंतरिक बल और वैराग्य की भावना मिल सकती है।
1️⃣4️⃣ सरसों का तेल – सुरक्षा का प्रतीक। इसे नकारात्मक प्रभावों से रक्षा और कुशलता की प्रार्थना के साथ अर्पित किया जाता है।
1️⃣5️⃣ नींबू का रस – शुद्धिकरण से जुड़ा। इसे चढ़ाने से मानसिक स्पष्टता और शांति प्राप्त हो सकती है।
1️⃣6️⃣ हल्दी जल – स्वास्थ्य और शुभता का प्रतीक। यह जीवन में ऊर्जा और कुशलता की कामना से अर्पित किया जाता है।
1️⃣7️⃣ बेल पत्र – भगवान शिव को अत्यंत प्रिय पवित्र बेल पत्ता माना जाता है। यह तीन गुणों (तामसिक, राजसिक, सात्त्विक) का प्रतिनिधित्व करते हैं और शिव कृपा पाने का माध्यम माने जाते हैं।
1️⃣8️⃣ गेहूं – समृद्धि और अन्न की प्रचुरता का प्रतीक। इसे अर्पित करने से निरंतर धन और पोषण की प्राप्ति हो सकती है।
1️⃣9️⃣ फूल – भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अर्पित किए जाते हैं और मन की शुद्धता और भक्ति का प्रतीक होते हैं।
2️⃣0️⃣ चावल – शुद्धता, समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक। इसे अर्पित करने से सुख-समृद्धि और सफलता मिल सकती है।
2️⃣1️⃣ फल (केला, सेब, मौसमी फल) – भक्ति और मनोकामना पूर्ति का प्रतीक। फलों को अर्पित करने से शुभ फल और जीवन में सुख-शांति मिल सकती है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस महानुष्ठान में भाग लेने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है और महादेव की कृपा से सभी इच्छाएं पूरी होने की सही दिशा मिलती है।