🌅 हरिद्वार के पवित्र गंगा घाट पर 21 ब्राह्मणों द्वारा होने जा रहा है पितृ शांति महापूजा का आयोजन 🌊🙏🕯️✨
इस अनुष्ठान से जुड़कर आप भी अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए कर सकते हैं प्रार्थना🙏🌊✨
सनातन धर्म में पितृ पक्ष का समय अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का अवसर है। शास्त्रों में यह धारणा है कि इंसान का जीवन केवल उसके कर्मों से ही नहीं चलता, बल्कि पितरों के आशीर्वाद से भी उसकी प्रगति होती है। जब हम अपने पितरों का स्मरण करते हैं, उनके लिए तर्पण, श्राद्ध और पूजा करते हैं, तो यह केवल एक अनुष्ठान नहीं होता बल्कि उनके प्रति हमारी श्रद्धा और भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। पितृ पक्ष इसी भावना का स्मरण कराता है कि वर्तमान में हमारे पास जो कुछ है, उसमें हमारे पूर्वजों के त्याग और संस्कारों की गहरी भूमिका रही है।
हरिद्वार की पवित्र धरती और गंगा तट पर पितृ अनुष्ठानों का विशेष महत्व माना जाता है। गंगा जल में आहुति अर्पित करने और दीप प्रवाहन का भाव ऐसा होता है मानो हमारी प्रार्थनाएँ और स्मरण सीधे पितरों तक पहुँच रहे हों। इस वर्ष पितृ पक्ष पर हरिद्वार के पावन गंगा घाट पर विशेष 21 ब्राह्मण 21,000 पितृ गायत्री मंत्र जाप और गंगा दूध अभिषेक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान पितरों की आत्मिक शांति और संतोष के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जब परिवार श्रद्धापूर्वक इस प्रकार की पूजा करवाता है, तो पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार में मानसिक शांति, आपसी एकता और सद्भाव का वातावरण बनता है। विशेषकर गंगा घाटों पर जब यह अनुष्ठान होता है तो उसकी प्रभावशीलता और भी गहरी मानी जाती है क्योंकि माँ गंगा स्वयं मोक्षदायिनी कही गई हैं।
पितरों का स्मरण केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि आत्मिक जुड़ाव का माध्यम है। जब हम उनके लिए प्रार्थना करते हैं, तो यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और जीवन में संतुलन का मार्ग दिखाता है। यही कारण है कि पितृ पक्ष का यह अनुष्ठान आत्मिक शांति और पारिवारिक सद्भाव के लिए अत्यंत शुभ अवसर माना जाता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से विशेष अनुष्ठान के पुण्य के भागी बनें।