🌑 अमावस्या वह तिथि मानी जाती है जब साधक को आत्मिक शांति, ध्यान और ऊर्जा–शुद्धि का स्वाभाविक अवसर मिलता है। इस दिन बाहरी वातावरण शांत रहता है और मन भी अपेक्षाकृत स्थिर होता है, जिससे व्यक्ति अपने भीतर के विचारों और भावनाओं को अधिक स्पष्ट रूप से देख पाता है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या का समय मन में दबे तनाव, भय और मानसिक बोझ को हल्का करने तथा नई ऊर्जा के आरंभ के लिए अत्यंत उपयुक्त समझा जाता है।
🌘 साल की आखिरी अमावस्या का महत्व और भी गहरा बताया गया है क्योंकि यह बीते समय की थकी हुई या अवांछित ऊर्जा को पीछे छोड़ कर आने वाले वर्ष के लिए मानसिक संतुलन तैयार करने का अवसर देती है। वर्ष समाप्त होने के समय मन में अनेक अनुभव जमा होते हैं, जिनमें सफलताएँ भी होती हैं और कुछ ऐसी चिंताएँ भी जिन्हें व्यक्ति कह नहीं पाता। इस तिथि को उन सब भावों को समर्पित कर आगे बढ़ने की स्पष्टता प्राप्त करने का प्रभावी समय माना जाता है। आखिरी अमावस्या का यह काल साधना, आत्मचिंतन और भीतर के संतुलन को पुनः स्थापित करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
🔱 इस दिन काल भैरव उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। भैरव वह शक्ति माने जाते हैं जो मन में बैठे भय, भ्रम, अस्थिरता और नकारात्मक प्रभावों को शांत करती है। उनकी कृपा से साधक के भीतर साहस, मानसिक दृढ़ता और निर्णयों में स्पष्ट मार्गदर्शन विकसित होता है। भैरव ऊर्जा के प्रभाव से व्यक्ति परिस्थितियों के दबाव में झुकने के बजाय स्थिर रहकर सामना करने की क्षमता अर्जित करता है। साधना के क्रम में मन का संकोच, चिंता और अनिश्चितता धीरे–धीरे शांत होती जाती है और आत्मबल अधिक मजबूत होता है।
🔥 आखिरी अमावस्या पर किए जाने वाले मंत्र–जप, विशेष अनुष्ठान और यज्ञ का उद्देश्य साधक के ऊर्जाक्षेत्र को संतुलित करना और मन में उपस्थित अवरोधों को शांत करना माना गया है। वैदिक मंत्रों की ध्वनि मन के विक्षेपों को स्थिर करती है, यज्ञ की अग्नि शुद्धिकरण का माध्यम बनती है और सामूहिक साधना पूरे वातावरण में सुरक्षा और शांत ऊर्जा का निर्माण करती है। इन सबका संयुक्त प्रभाव साधक के भीतर नई स्पष्टता, साहस और गहन शांति के रूप में अनुभव होता है।
🕉️ श्री मंदिर द्वारा यह विशेष अनुष्ठान भारत के दो अत्यंत प्रतिष्ठित स्थलों जैसे उज्जैन के श्री विक्रांत भैरव मंदिर और काशी के श्री काल भैरव मंदिर में संपन्न किया जा रहा है। आप भी इस अवसर पर आयोजित अनुष्ठान में भाग लेकर मानसिक संतुलन, सुरक्षा और आंतरिक शक्ति की दिशा में एक दृढ़ और शुभ कदम रख सकते हैं।