♊ मिथुन राशि वालों के लिए परिवारिक शांति और कार्यस्थल की स्थिरता, राहु–सूर्य–शिव के संतुलन पर बहुत निर्भर करती है।
वेदिक ज्योतिष के अनुसार, जब राहु 9वें भाव को प्रभावित करता है, तो भ्रम, सम्मान में कमी और पिता के स्वास्थ्य या निर्णय-शक्ति में गिरावट देखी जाती है। साथ ही, 7वें भाव पर राहु का दबाव अचानक गुस्सा, भावनात्मक टकराव, अधिकार की लड़ाई और पति–पत्नी के बीच बढ़ते संघर्ष के रूप में सामने आता है। इससे घर की शांति टूटती है और काम में आत्मविश्वास व सुरक्षा कमजोर पड़ती है।
♊ ऐसे समय में मिथुन राशि के लोग अपने विवाहिक तनाव, पिता की चिंता और ऑफिस की राजनीति, जलन या छिपे विरोध के बीच फँसे महसूस करते हैं। मन अशांत रहता है, बातचीत जल्द बिगड़ जाती है और भावनाओं पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में रुद्र–आदित्य शांति पूजा जीवन के इन टूटे हिस्सों के बीच संतुलन लाने वाला महत्वपूर्ण उपाय बनती है।
♊ रुद्र (भगवान शिव का उग्र उपचारकारी रूप) गुस्सा शांत करते हैं, भावनात्मक नियंत्रण देते हैं और अंदर जमा निराशा को मिटाते हैं। आदित्य (सूर्य) पिता की ऊर्जा, सम्मान, आत्मविश्वास और कार्यस्थल पर सुरक्षा का कारक है। रविवार और पौष कृष्ण त्रयोदशी का संयोग एक विशेष समय बनाता है जब सूर्य तत्व और शिव तत्व दोनों अत्यंत सक्रिय होते हैं। यह दिन परिवार में खोए सम्मान की वापसी और रिश्तों में भावनात्मक संतुलन के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
♊ काशी के प्राचीन पंच रत्न मंदिर, जो असी घाट के पास स्थित है, पाँच देवताओं वाले दुर्लभ गर्भगृह के लिए प्रसिद्ध है—जहाँ अधिकार, सुरक्षा, रिश्ते, कर्म और मन नियंत्रण का संतुलन माना जाता है। यह मंदिर सूर्य और शिव उपासना से जुड़ा होने के कारण रुद्र–आदित्य शांति के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थल माना जाता है। असी घाट के निकट गंगा का पवित्र प्रवाह इस पूजा की शुद्धि और कर्म-विमोचन शक्ति को और बढ़ाता है।
♊ यह विशेष रविवार त्रयोदशी रुद्र–आदित्य पूजा सीमित समय के लिए उपलब्ध है। पवित्र तिथि बीतने से पहले आप श्री मंदिर के माध्यम से अपनी प्रार्थनाएँ अर्पित कर सकते हैं।