कुंभ राशि के लोग अपनी अलग सोच और स्वतंत्र स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। ये भीतर से गहरी समझ रखते हैं और चीज़ों को एक नए नजरिए से देखने की आदत इनकी खास पहचान होती है। बदलाव इन्हें बिल्कुल नहीं डराता, बल्कि ये उसे खुले मन से अपनाते हैं। स्वभाव से दयालु, आध्यात्मिक और दूसरों का सहारा बनने वाले होते हैं, लेकिन कई बार इन्हीं अच्छे गुणों की वजह से अपनी भावनाएँ खुलकर नहीं कह पाते, जिससे मन में हल्की उलझन या दूरी महसूस हो सकती है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 2026 ऐसा साल माना जा रहा है, जब कुंभ राशि वाले खुद को नए ढंग से समझने और जीवन में कुछ जरूरी बदलाव लाने की दिशा में बढ़ेंगे। साढ़े साती का अंतिम चरण चल रहा है, इसलिए यह समय थोड़ी गंभीरता के साथ कुछ अहम सीख भी दे सकता है। राहु मन को भ्रमित कर सकता है और फैसले लेने की गति को धीमा कर सकता है, जबकि बृहस्पति धीरे-धीरे मन और परिस्थितियों को संतुलन की ओर ले जाएगा। इस वजह से 2026 में मन, काम और रिश्तों सभी में थोड़ा अतिरिक्त ध्यान और सुधार की जरूरत महसूस हो सकती है।
इस वर्ष तीन बातें खास तौर पर ध्यान देने योग्य हैं। पहली, मानसिक उलझनें बढ़ सकती हैं और पुराने तरीकों से बाहर निकलने में समय लग सकता है, इसलिए मन को शांत रखकर आगे बढ़ना जरूरी होगा। दूसरी, आय अच्छी रहने के बावजूद बचत करना मुश्किल लग सकता है और कभी-कभी अचानक खर्च तनाव दे सकते हैं। तीसरी, खुद पर ध्यान देते हुए रिश्तों को थोड़ा कम समय मिलने की वजह से दूरी बढ़ सकती है।
ऐसे समय में बहुत से लोग माँ लक्ष्मी, शनि देव और भगवान शिव की संयुक्त पूजा को सहायक आध्यात्मिक उपाय मानते हैं। माँ लक्ष्मी का स्मरण घर और जीवन में समृद्धि और संतुलन का भाव बढ़ाता है। भगवान शिव का रुद्राभिषेक मन को शांत और स्थिर बनाता है, जो साढ़े साती के समय विशेष रूप से उपयोगी माना जाता है। शनि देव की पूजा कठिन परिस्थितियों और मानसिक दबाव में सुरक्षा और स्थिरता का अनुभव देती है।
इसी उद्देश्य से काशी के प्राचीन पंच रत्न क्षेत्र में माँ लक्ष्मी, भगवान शिव और शनि देव की संयुक्त पूजा का आयोजन किया गया है। श्री मंदिर के माध्यम से भक्त इस पूजन में सम्मिलित होकर मन को एकाग्र करने, सकारात्मकता बढ़ाने और मानसिक स्थिरता महसूस करने का प्रयास कर सकते हैं।