कभी-कभी, चाहे आप कितनी भी मेहनत कर लें, ऐसा लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति आपके रास्ते में रुकावटें खड़ी कर रही है। हर कदम भारी हो जाता है, शांति की जगह चिंता आ जाती है और रिश्तों में भी दूरी महसूस होने लगती है। शास्त्रों में इसे दृष्टि दोष, छुपी नकारात्मकता, या पुराने कर्मजाल के रूप में बताया गया है, जो मन की शक्ति को धीरे-धीरे कम कर देते हैं। लेकिन चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो — माँ की रोशनी उसे पल भर में मिटा सकती है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन तीन महाशक्तियों — माँ भद्रकाली, माँ ज्वाला देवी और माँ विंध्यवासिनी — की संयुक्त ऊर्जा भक्तों की रक्षा के लिए जागृत मानी जाती है।
🌺 3 दिव्य शक्तियां एक ही संरक्षण की ज्योति
जब माँ सती ने स्वयं का बलिदान दिया, तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके दिव्य शरीर के भागों को पृथ्वी पर स्थापित किया, और इसी से 51 शक्तिपीठों की स्थापना हुई। इनमें से तीन शक्तिपीठ विशेष रूप से अद्भुत और शक्तिशाली माने जाते हैं:
कुरुक्षेत्र में, जहाँ माँ का टखना गिरा था — यहाँ माँ भद्रकाली दुष्ट शक्तियों और आने वाले संकटों को पहले ही नष्ट कर देती हैं।
कांगड़ा में, जहाँ माँ की जिह्वा गिरी थी — यहाँ माँ ज्वाला देवी की अनंत ज्योति नकारात्मकता और दोषों को भस्म कर देती है।
मिर्जापुर में, जहाँ माँ विंध्यवासिनी ने शुंभ-निशुंभ का वध किया — वे जीवन में विजय, संतुलन और स्थिरता प्रदान करती हैं।
🔥 रक्षा कवच महायज्ञ — माँ की त्रि-शक्ति से दिव्य सुरक्षा
यह विशेष महायज्ञ इन तीनों शक्तिपीठों में अनुष्ठानिक रूप से किया जाता है। वैदिक मंत्रों, पवित्र आहुतियों और प्रार्थनाओं के माध्यम से पुजारी माँ भद्रकाली से संकट नाश, माँ ज्वाला से दोष और नकारात्मक ऊर्जा का दहन, और माँ विंध्यवासिनी से शक्ति, संतुलन और विजय का आशीर्वाद आमंत्रित करते हैं। माना जाता है कि यह संयुक्त आशीर्वाद भक्त और उसके परिवार के चारों ओर रक्षा कवच बना देता है — अदृश्य भय को शांत करता है और मन व घर में स्थिरता लाता है।
✨ श्री मंदिर के माध्यम से, यह अमावस्या महायज्ञ आपके जीवन में माँ का साहस, शांति और दिव्य सुरक्षा आमंत्रित करने का एक पवित्र मार्ग बनता है — ताकि आप भय, अंधकार और छुपी बाधाओं से ऊपर उठ सकें।