🛕 जब जीवन में बिना कारण परेशानियां बढ़ती हैं, भाग्य रुक जाता है या पुराने कर्मों का बोझ बहुत भारी हो जाता है — तब मन समझ नहीं पाता कि राहत कहाँ से मिले। ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति हमारे सुख और शांति के मार्ग में अड़चन पैदा कर रही हो। यह वही बोझ है जिसे हम दोष और अधूरे कर्म कहते हैं। वेदों में कहा गया है कि अमावस्या वह तिथि है जब ये अदृश्य ऊर्जाएँ सबसे अधिक सक्रिय होती हैं — लेकिन यही तिथि इन्हें पूरी तरह नष्ट करने के लिए भी सबसे शक्तिशाली है। इसीलिए, हम माँ ज्वाला देवी की ओर मुड़ते हैं — जो जीवित अग्नि के रूप में स्वयं पवित्रता और संरक्षण का प्रतीक हैं।
माँ ज्वाला देवी की कथा स्वयं दुःख के अंत का प्रमाण है। जब भगवान शिव माँ सती के शरीर को लेकर ब्रह्मांड में विचरण कर रहे थे, तो कांगड़ा घाटी में माँ सती की जीभ गिरी। यह स्थान सदियों से अनंत ज्योति के रूप में प्रकट है — एक ऐसी अग्नि जो बिना किसी तेल या बाती के स्वयमेव जलती है। यह माँ की शुद्ध, अद्वितीय और अविनाशी शक्ति का प्रतीक है। यह दिव्य अग्नि हमें सिखाती है कि जीवन में मौजूद हर तरह के दोष, बाधाएँ और नकारात्मक कर्म — दिव्य प्रकाश द्वारा पूरी तरह भस्म किए जा सकते हैं। माँ के इस शक्तिपीठ में पूजा करने से मन, वचन और जीवन में गहरी शुद्धि का अनुभव होता है।
🛕 अमावस्या पर होने वाला यह अखंड-ज्योति हवन आपके गहन संकल्पों को सीधे माँ की ज्योति तक पहुँचाता है। इस सर्व-दोष भक्षण अनुष्ठान में मंदिर के आचार्य पवित्र मंत्रों और आहुतियों के माध्यम से माँ की अग्नि को आमंत्रित करते हैं, जिससे पितृ दोष, काल सर्प दोष, और अन्य सभी नकारात्मक प्रभावों को शांत और समाप्त करने का संकल्प लिया जाता है। जैसे माँ की ज्योति सदैव जलती है, वैसे ही उनका आशीर्वाद भी आपके जीवन में सुरक्षा, शांति और मार्गदर्शन के रूप में बना रहता है।
💫 यह विशेष पूजा श्री मंदिर के माध्यम से आपके जीवन में उपचार, शांति और दिव्य संरक्षण लाने का माध्यम है।