महामृत्युंजय मंत्र को सनातन धर्म में सबसे पवित्र और प्रभावशाली मंत्रों में से एक माना जाता है। यह भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला मंत्र है, जिसका जाप विशेष रूप से बीमारी, भय और अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब यह जाप सोमवार अमावस्या जैसे शुभ योग में किया जाता है, तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन की शक्तिशाली ऊर्जा मंत्रों की प्रभावशीलता को और अधिक बल देती है। भगवान शिव केवल संहारक ही नहीं, बल्कि करुणामय और रक्षक देवता भी हैं। वे अपने भक्तों को रोग, भय और दुखों से मुक्त करते हैं।
इन्हीं की कृपा पाने के लिए श्री मंदिर द्वारा एक विशेष महामृत्युंजय महाअनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है, जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र ओंकारेश्वर मंदिर में सम्पन्न किया जाएगा। इस पावन दिन पर 11,000 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाएगा। मान्यता है कि इस अनुष्ठान से भक्तों को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से स्वास्थ्य और लंबी आयु प्रदान करने वाला स्थल माना जाता है। नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह स्थान अपनी दिव्य और उपचारात्मक शक्ति के लिए प्रसिद्ध है।
इस दिन भगवान शिव का पंचामृत रुद्राभिषेक भी किया जाएगा, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। यह विधि शरीर और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक मानी जाती है। जब महामृत्युंजय मंत्र जाप और रुद्राभिषेक एक साथ किए जाते हैं, तो वातावरण अत्यंत सकारात्मक, शांतिपूर्ण और शक्तिशाली बन जाता है, जो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है।
🔱 ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता 🕉️
यहां नर्मदा नदी ‘ॐ’ के आकार में प्रवाहित होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा मान्धाता ने इसी स्थान पर कठोर तपस्या कर अपने परिवार को रोग और अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए यह स्थल इस महाअनुष्ठान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, ताकि स्थान और मंत्र की संयुक्त शक्ति से भक्तों को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।
🙏 आप भी सोमवार और अमावस्या के इस शुभ संयोग पर श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में भाग ले सकते हैं और भगवान शिव की कृपा से रोग, भय और अकाल मृत्यु से पूर्ण सुरक्षा एवं दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।