लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे अक्सर परिवारों को तोड़ देते हैं और जीवन में एक के बाद एक संघर्षों से उन्नति कोसों दूर दिखने लगती है। यदि आप भी ऐसी उलझनों में फंसे हैं, तो माँ बगलामुखी और भगवान विष्णु की संयुक्त आराधना के माध्यम से दिव्य मार्गदर्शन प्राप्त करने का समय आ गया है। इस पूजा के लिए अमावस्या तिथि बेहद शुभ मानी गई है। इस दिन किया गया अनुष्ठान बेहद प्रभावशाली और फलदायी हो सकता है। ऐसा कहते हैं 36 हजार मां बगलामुखी मंत्र जाप अमावस्या पर करने से भक्तों को संघर्षों पर विजय, श्री नारायण का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🚩 माँ बगलामुखी और श्री नारायण की संयुक्त पूजा क्यों?
शास्त्रों के अनुसार, माँ बगलामुखी 8वीं महाविद्या हैं। इन्हें शत्रु को स्तंभित करने और नकारात्मकता को शांत करने वाली शक्ति माना जाता है। जब इनकी आराधना भगवान विष्णु के साथ की जाती है, तो साधक को संघर्षों में सरलता, अदृश्य बाधाओं से रक्षा और विरोधियों का सामना करने की शक्ति प्राप्त हो सकती है। यह संयुक्त पूजन जीवन को न्यायिक उलझनों और शत्रुता से बचाने का एक प्रभावशाली आध्यात्मिक माध्यम माना गया है।
📖 पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार सतयुग में एक भयंकर प्रलय ने समस्त सृष्टि को नष्ट करने का संकट उत्पन्न किया। तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव का ध्यान किया। शिव ने बताया कि यह संकट केवल शक्ति से शांत होगा। भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर में तप किया और माँ बगलामुखी प्रकट हुईं। उन्होंने प्रलय को रोका और सृष्टि को संतुलन में स्थापित किया।
🔥 नारायण सुदर्शन कवचम् यज्ञ का महत्व
जब माँ बगलामुखी की पूजा सुदर्शन कवचम् यज्ञ के साथ होती है, तो इसकी शक्ति और भी प्रबल मानी जाती है। भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र बुराई का संहार करता है और लक्ष्य पूर्ण किए बिना नहीं लौटता। यह यज्ञ उस ही दिव्य शक्ति का आह्वान है, जिसे शत्रुता और बाधाओं को शांत करने वाला माना गया है। इसे करने से साधक को सुरक्षा, आत्मविश्वास और विजय की कामना के साथ दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजन में शामिल होकर संघर्षों को सफलता में बदलने का आशीष पाएं।