🪷 काल भैरव जयंती वह पवित्र दिन माना जाता है, जब भगवान शिव ने अपने उग्र और रक्षक स्वरूप काल भैरव के रूप में अवतार लिया था। शास्त्रों के अनुसार, जब संसार में अधर्म और अन्याय बढ़ गया, तब भगवान शिव ने काल भैरव रूप धारण करके दुष्ट शक्तियों का नाश किया और धर्म की रक्षा की। भैरव देव को समय, न्याय और सुरक्षा के देवता कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से अनदेखे शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी नज़र और डर से सुरक्षा मिलती है।
इस भैरव अष्टमी पर काशी में श्रीमंदिर द्वारा विशेष काल भैरव जयंती महाअनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है।
शास्त्रों में कथा आती है कि जब भगवान ब्रह्मा के मन में अहंकार बढ़ गया, तब भगवान शिव ने काल भैरव रूप धारण कर ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया। यह घटना अहंकार का विनाश और धर्म की रक्षा का प्रतीक मानी जाती है। इसके बाद, ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए काल भैरव पूरी धरती पर घूमते रहे और अंत में काशी में उन्हें मोक्ष और शांति प्राप्त हुई। तभी से काशी के कोतवाल के रूप में काल भैरव की पूजा की जाती है — जो हर भक्त की रक्षा करते हैं।
अब इस पवित्र काशी में, श्री मंदिर द्वारा चार प्रहर काल भैरव अभिषेक, श्रृंगार सेवा, खप्पर सेवा और भोग सेवा आयोजित की जाएगी। चार प्रहर का अर्थ है कि दिन भर चार चरणों में भगवान की विशेष सेवा की जाएगी:
🔹 श्रृंगार सेवा – भगवान को विशेष वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाएगा।
🔹 खप्पर सेवा – भगवान को खप्पर (अस्थि पात्र) का प्रतीकात्मक अर्पण किया जाएगा, जो उनके वैराग्य और त्याग का प्रतीक है।
🔹 भोग सेवा – भगवान को भोग अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाएगा।
यह अनुष्ठान श्री आदि काल भैरव मंदिर, काशी में संपन्न होगा और इसी महादेव क्षेत्र स्थित काल भैरव मंदिर में विशेष आरती की जाएगी। 🌺 आप भी इस विशेष काल भैरव जयंती पूजा में शामिल होकर, काल भैरव के रक्षण और कृपा का दिव्य आशीर्वाद पा सकते हैं। 🕯️