नवमी का दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा की महिमा के साथ जुड़ा हुआ है और इस दिन मां सिद्धदात्री की आराधना का बड़ा महत्व है। मां सिद्धदात्री 9 शक्ति रूपों में से एक हैं और मनोकामनापूर्ति और खुशहाली का आशीष देने वाली देवी मानी जाती हैं। वे भक्तों के लिए धन, ऐश्वर्य, और मानसिक शांति की दिशा मजबूत कर सकती हैं। नवमी के दिन 3 शक्तिपीठों में मां के स्वरूपों की आराधना से जीवन की सभी कठिनाइयों का निवारण संभव है। मां सिद्धदात्री की पूजा विशेष रूप से मानसिक शक्ति, समृद्धि और सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। यह नवरात्रि का अंतिम अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें।
🪔 इस नवमी पर 3 शक्तिपीठों में महायज्ञ होगा, जिनकी महिमा इस प्रकार है:
🌿 मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में माँ विंध्यवासिनी देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां सती के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था।
🌿 मां कात्यायनी शक्तिपीठ: मां कात्यायनी शक्तिपीठ, वृंदावन (मथुरा) में है और यह देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के केश गिरे थे।
🌿 मां ब्रजेश्वरी देवी शक्तिपीठ: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख तीर्थ है। मान्यता है कि इस पावन स्थल पर माँ सती का बायाँ स्तन गिरा था।
10 दुर्लभ द्रव्यों से मां सिद्धिदात्री नवमी महायज्ञ:
मां सिद्धिदात्री नवमी महायज्ञ में 10 दुर्लभ द्रव्यों का विशेष उपयोग किया जाता है, जो यज्ञ को सामान्य से ज्यादा प्रभावी बना देता है। इनमें शुद्ध घी, तांबा, चांदी, शहद, कपूर, शक्कर, केसर, चंदन, लौंग और तुलसी के पत्ते शामिल होते हैं। ये द्रव्य न केवल यज्ञ की पवित्रता बढ़ाते हैं, बल्कि सिद्धि और समृद्धि की दिशा भी मजबूत करते हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा के दौरान विद्वान पुरोहितों द्वारा इन द्रव्यों से हवन और आहुति दी जाती है, जिससे मानसिक शांति, समृद्धि और सभी इच्छाओं की पूर्ति संभव है। यह यज्ञ जीवन में मनोकामनापूर्ति का आशीर्वाद पाने के लिए श्रेष्ठ उपाय माना जाता है।
🧿 यह पावन नवमी महायज्ञ, श्री मंदिर के माध्यम से 3 महान शक्तिपीठों के दिव्य आशीर्वाद को आपके जीवन तक लाने की शक्ति रखता है।