🌑 इस अमावस्या पर देवी बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा की कृपा से पाएं हर नकारात्मकता से अटूट दिव्य सुरक्षा का आशीर्वाद 🔱🛡️
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमय माना गया है। यह वह समय होता है जब देवी शक्तियों की ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय होती है और साधना, मंत्र जाप व हवन जैसे प्रयासों का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए रक्षा उपाय विशेष रूप से शीघ्र फल देते हैं, विशेषकर जब साधक मां बगलामुखी और मां प्रत्यंगिरा जैसे शक्तिशाली रक्षक स्वरूपों की शरण लेते हैं।
🔹 मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवां स्थान प्राप्त है। इनकी पूजा से शत्रु शांत होते हैं, अदालती विवादों में सफलता मिलती है और छिपे विरोध या शत्रु षड्यंत्रों से राहत प्राप्त होती है।
🔹 मां प्रत्यंगिरा देवी दुर्गा का उग्र रूप मानी जाती हैं, जिनकी आराधना से काला जादू, नज़र दोष और तांत्रिक बाधाएं समाप्त होती हैं। यह देवी साधक को ऊर्जात्मक सुरक्षा और मानसिक बल प्रदान करती हैं।
अमावस्या पर यह समय इन दोनों देवियों की संयुक्त साधना के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस अवसर पर सिद्धपीठ श्री मां बगलामुखी मंदिर, हरिद्वार में एक दिव्य अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शामिल हैं:
🔸 बगलामुखी मूल मंत्र का 1,25,000 बार जाप
🔸 बगलामुखी–प्रत्यंगिरा कवच पाठ
🔸 और अंत में दिव्य हवन, जो समस्त नकारात्मकता का शमन करता है।
यह संपूर्ण अनुष्ठान 36 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा वैदिक विधियों से संपन्न होगा। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अमावस्या पर इस दिव्य रक्षा-कवच पूजा में भाग लें और मां बगलामुखी एवं मां प्रत्यंगिरा की अपार कृपा प्राप्त करें।