🙏 इस अमावस्या करें पितरों का तर्पण और अपने कर्मों की शुद्धि का मार्ग प्रशस्त करें
अमावस्या, जिसे पितरों को समर्पित दिन माना गया है, आत्मा की शांति और कर्म शुद्धि के लिए अत्यंत शक्तिशाली समय होता है। इस दिन किए गए पितृ संबंधी अनुष्ठानों से न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में चल रहे पितृ दोष और उससे जुड़ी बाधाएं भी शांत होती हैं। श्री मंदिर के माध्यम से इस बार यह दिव्य पूजा दक्षिण काशी के नाम से प्रसिद्ध पवित्र गोकर्ण तीर्थ क्षेत्र में सम्पन्न होगी। यह वह स्थान है जहाँ स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं, और जहाँ किया गया प्रत्येक पितृ तर्पण अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
गरुड़ पुराण जैसे शास्त्रों के अनुसार, जिन आत्माओं की मृत्यु अकाल या असमय होती है, या जिन्हें विधिपूर्वक अंतिम संस्कार नहीं मिला, वे अशांत रहती हैं। उनकी शांति के लिए यदि उपयुक्त विधियों से पूजा न की जाए, तो यह ऊर्जा पितृ दोष के रूप में संतति के जीवन में कष्ट उत्पन्न कर सकती है—जैसे विवाह और संतान में देरी, स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक अस्थिरता और पारिवारिक तनाव।
इन कर्म संबंधी गड़बड़ियों को दूर करने के लिए निम्नलिखित शक्तिशाली अनुष्ठान किए जाते हैं::
🔹 नारायण बली पूजा: असमय या अप्राकृतिक मृत्यु को प्राप्त आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए।
🔹 त्रिपिंडी श्राद्ध: जिन पूर्वजों के श्राद्ध विधि अधूरी रह गई हो, उनके लिए यह अनुष्ठान पूर्णता का प्रतीक है।
🔹 पितृ दोष शांति पूजा: वंशानुगत कर्म बाधाओं की शांति एवं परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिए।
गोकर्ण, जिसे दक्षिण काशी कहा गया है, आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली शिव क्षेत्र है। यहाँ की गई पितृ पूजा कई गुना फलदायी मानी जाती है। श्री मंदिर के माध्यम से इन पवित्र अनुष्ठानों में भाग लेकर, आप न केवल अपने पितरों को तृप्त करते हैं, बल्कि अपने जीवन में चल रही अदृश्य समस्याओं का समाधान भी प्राप्त कर सकते हैं।
इस अमावस्या, पितृ शांति और आत्मिक उन्नति के इस दुर्लभ अवसर को न गंवाएँ।