गुजराती नव वर्ष, जिसे विक्रम संवत के अनुसार मनाया जाता है, गुजरात और आसपास के क्षेत्रों में बहुत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह दिन नया आरंभ, खुशहाली और जीवन में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और दुकानों को फूलों, दीपों और रंगोली से सजाते हैं। परिवार के लोग मिलकर माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा करते हैं और नए वर्ष में सुख, ज्ञान और समृद्धि की कामना करते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि धन, बुद्धि और निर्णय क्षमता ये तीनों शक्तियाँ मिलकर ही जीवन को संतुलित बनाती हैं। माँ लक्ष्मी समृद्धि और वैभव की देवी हैं, माँ सरस्वती ज्ञान और विद्या की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं, और भगवान गणेश को शुभारंभ तथा निर्णय क्षमता का देवता कहा गया है। जब इन तीनों की कृपा एक साथ मिलती है, तो व्यक्ति जीवन में सही दिशा और स्थिरता पा सकता है।
इसी संतुलन की भावना के साथ इस गुजराती नव वर्ष पर उज्जैन के गजलक्ष्मी मंदिर में विद्या, धन और बुद्धि प्राप्ति के लिए एक विशेष पूजन और महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान श्रद्धा के साथ देवी-देवताओं का स्मरण कर ज्ञान, स्थिरता और आंतरिक संतुलन का मार्ग प्रशस्त करता है। ऐसा माना जाता है कि इन पूजाओं से मन की एकाग्रता बढ़ सकती है और व्यक्ति अपने जीवन के निर्णयों को अधिक स्पष्टता से समझ पाता है।
इस दिन को सिर्फ धार्मिक रूप से नहीं, बल्कि आत्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह समय पुराने तनावों और नकारात्मक विचारों को पीछे छोड़कर नए आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का होता है। जब व्यक्ति अपने अंदर संतुलन और स्थिरता महसूस करता है, तो जीवन में छोटे-छोटे परिवर्तन भी गहराई से प्रभाव डालते हैं।
यह पूजन केवल धन की प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि सही सोच, विवेक और समझदारी के विकास के लिए भी उपयोगी माना गया है। आप भी इस विशेष अनुष्ठान से श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें। 🙏