17 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर सूर्य का तुला राशि में गोचर होगा। यह समय ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष माना जाता है क्योंकि तुला राशि सूर्य की नीच राशि होती है। इस गोचर के दौरान सूर्य अपनी सबसे कमजोर स्थिति में रहता है, जिसके कारण आत्मविश्वास में कमी, निर्णयों में अस्थिरता और कार्यस्थल या पारिवारिक जीवन में टकराव जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। तुला राशि का संबंध सप्तम भाव से है, जो साझेदारी और वैवाहिक जीवन का प्रतीक है, इसलिए इस अवधि में संबंधों में संतुलन और संयम बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
इस समय का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि तुला राशि में शनि ग्रह उच्च स्थिति (उच्च का भाव) में होता है। इसका अर्थ है कि जब सूर्य दुर्बल होता है, तब शनि अपनी पूरी शक्ति में होता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य आत्मा, शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है, जबकि शनि अनुशासन, कर्म और न्याय का द्योतक है। जब एक ग्रह नीच और दूसरा उच्च होता है, तब जीवन में आत्मबल और कर्मफल के बीच संघर्ष की स्थिति बन सकती है। ऐसे समय में व्यक्ति मानसिक रूप से थकान, दबाव और असंतुलन का अनुभव कर सकता है।
इन ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने और उनके शुभ प्रभावों को प्राप्त करने के लिए श्री नवग्रह मंदिर में 23,000 शनि मूल मंत्र जाप और 51 आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ का विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। शनि मूल मंत्र जाप से शनि ग्रह के कठोर प्रभाव शांत होते हैं और जीवन में स्थिरता, धैर्य और न्याय की भावना प्रबल होती है। यह जाप विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक माना जाता है जो शनि महादशा या साढ़ेसाती के प्रभाव से गुजर रहे हैं।
वहीं, 51 बार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सूर्य देव की ऊर्जा को पुनः जाग्रत करता है। यह वही स्तोत्र है जो महर्षि अगस्त्य ने भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने हेतु सुनाया था। इसका पाठ मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और ऊर्जा प्रदान करता है।
इस प्रकार सूर्य और शनि के इस गोचर काल में श्री नवग्रह मंदिर में आयोजित यह संयुक्त अनुष्ठान व्यक्ति को ग्रहों के असंतुलन से मुक्ति दिलाकर जीवन में संतुलन, आत्मबल और सफलता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में जुड़कर आप भी सूर्य और शनि दोनों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।