🔱 सनातन धर्म में सोम-प्रदोष, मासिक शिवरात्रि और अमावस्या, तीनों दिन भगवान शिव को समर्पित अत्यंत पवित्र अवसर माने गए हैं:
सोम प्रदोष (जब त्रयोदशी सोमवार को आती है) को कर्मों की शुद्धि, बाधाओं की शांति और घर में शांति-सुख के लिए शुभ माना जाता है। मासिक शिवरात्रि हर माह कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आती है और यह आत्मिक साधना, मन की शुद्धि और भीतर की शक्ति जागृत करने का अवसर देती है।
अमावस्या नए आरंभ और अंधकार से मुक्ति का दिन है, जिसमें भगवान शिव की शरण लेकर मन की भारी ऊर्जा को छोड़ने की भावना होती है। जब ये तीन दिन लगातार आते हैं, तब शिव उपासना का फल और भी गहरा माना जाता है।
🙏 शास्त्रों में कहा गया है कि इन दिनों महा मृत्युंजय मंत्र जाप और रुद्राभिषेक करने से मन, शरीर और भावनाओं में संतुलन आता है। महा मृत्युंजय मंत्र, महादेव की कृपा और जीवनशक्ति को जागृत करने वाला माना जाता है। बेल पत्र और पंचामृत से रुद्राभिषेक, समर्पण, शुद्धि और नव ऊर्जा का प्रतीक है।
यह विशेष अनुष्ठान तीन ज्योतिर्लिंगों में किया जाता है:
🔱 त्र्यंबकेश्वर – यहाँ ब्रह्मा, विष्णु और शिव की संयुक्त ऊर्जा मानी जाती है। यह संदेह, भय और पुराने कर्मों की बाधाओं को शांत करने वाला स्थान माना जाता है।
🔱 ओंकारेश्वर – नर्मदा तट पर ‘ॐ’ के आकार के द्वीप पर स्थित। यहाँ पूजा करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है, ऐसा माना जाता है।
🔱 घृष्णेश्वर – यहाँ भगवान शिव ने माँ धृतिमति / घुष्मा की निष्ठा से प्रसन्न होकर ज्योतिर्लिंग प्रकट किया था। यह स्थान भक्ति, आस्था और धैर्य का प्रतीक है।
इस 3-दिवसीय अनुष्ठान में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लेने से, भक्त महादेव की कृपा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आध्यात्मिक बल का अनुभव कर सकते हैं। 🙏🔱🕉️