कभी-कभी पूरी कोशिश करने के बावजूद धन हाथ में टिकता नहीं है। अचानक आने वाले खर्च, बढ़ते कर्ज या आय में रुकावट घर में लगातार तनाव और चिंता का कारण बन जाते हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार, ये परेशानियाँ अदृश्य बाधाओं या नकारात्मक ऊर्जाओं के कारण होती हैं जो धन के प्रवाह को रोक देती हैं। इन चुनौतियों को पार करने के लिए केवल धन प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि उसे सुरक्षित रखने की दिव्य शक्ति भी आवश्यक होती है।
यही वह जगह है जहां धन के देवता भगवान कुबेर और रक्षा करने वाले बटुक भैरव की संयुक्त कृपा हमारी सबसे बड़ी शक्ति बनती है। दोनों मिलकर हमारे वित्तीय जीवन के लिए एक दिव्य सुरक्षा कवच तैयार करते हैं। पुराणों में बताया गया है कि भगवान कुबेर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें समस्त खजानों की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी। उसी प्रकार बटुक भैरव भगवान शिव का ही एक उग्र स्वरूप हैं, जो भय को नष्ट करते हैं और भक्तों को हर तरह की हानि और नकारात्मक ऊर्जा से बचाते हैं। जब हम दोनों की कृपा एक साथ मांगते हैं, तो हम सृजन और सुरक्षा दोनों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कार्तिक कृष्णा एकादशी के दिन होने वाले इस विशेष अनुष्ठान में वैदिक विधि से पूजा संपन्न होती है। पुरोहित 11,000 कुबेर मंत्रों का जाप करेंगे जिससे धन और नए अवसरों की ऊर्जा आकर्षित होती है। श्री सूक्त हवन के माध्यम से मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाएगी कि वे घर में शुभता और समृद्धि का प्रवाह करें। अंत में बटुक भैरव कवच पाठ किया जाएगा जिससे आपके धन और परिवार के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा घेरा बन सके। यह अनुष्ठान न केवल धन प्राप्ति के लिए बल्कि पीढ़ियों तक उसे सुरक्षित बनाए रखने के लिए किया जाता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से यह विशेष पूजा धन को आकर्षित करने, उसकी रक्षा करने और परिवार की समृद्धि बनाए रखने का आशीर्वाद प्रदान करती है।