🌑🔱 कई बार जीवन की परेशानियाँ केवल बाहर की परिस्थितियों से नहीं आतीं, बल्कि अंदर की बेचैनी, रुकावटें और अदृश्य नकारात्मक ऊर्जा से भी उत्पन्न होती हैं। ऐसा महसूस होता है कि जैसे कोई अदृश्य बोझ आगे बढ़ने नहीं दे रहा हो—चाहे वह बुरी नज़र हो, किसी का नकारात्मक प्रभाव हो या पिछले कर्मों का असर। शास्त्रों में कहा गया है कि इन गहन बाधाओं से मुक्ति केवल भगवान श्री काल भैरव की कृपा से ही संभव है। वे काशी के रक्षक और समय के स्वामी माने जाते हैं, जो हर प्रकार के डर और अदृश्य बाधाओं का नाश करते हैं।
🌑🔱 पुराणों में वर्णन है कि भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर वाद-विवाद हुआ था। तब भगवान शिव ने काल भैरव का रूप धारण कर ब्रह्मा जी के एक सिर को काट दिया। इस कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा और यह दोष उनके साथ चलता रहा, जब तक वे काशी नहीं पहुँचे। काशी में यह दोष नष्ट हो गया और भगवान शिव जी ने काल भैरव को ‘काशी का कोतवाल’ अर्थात रक्षक नियुक्त किया। इसी कारण, काशी में कोई भी मुक्ति पाने से पहले काल भैरव की शरण में अवश्य आता है।
🌑🔱 इस पूजा में भस्म रुद्राभिषेक किया जाता है, जिसमें शिवलिंग पर पवित्र भस्म से अभिषेक किया जाता है। भस्म सांसारिक अहंकार, भय और दुखों का दाह कर मन को निर्मल बनाने का प्रतीक है। साथ ही 11 बार भैरवाष्टक का पाठ किया जाएगा, जो अत्यंत शक्तिशाली रक्षा कवच प्रदान करने वाला माना गया है। काशी स्थित आदि काल भैरव मंदिर में यह अनुष्ठान किया जाना विशेष शुभ माना जाता है, क्योंकि यहाँ भगवान का रक्षक रूप जागृत माना गया है।
श्री मंदिर के माध्यम से की जाने वाली यह विशेष पूजा जीवन में अदृश्य भय, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा और आत्मिक साहस की भावना प्रदान करने के लिए की जाती है। 🙏