✨ कई बार हम पूरी निष्ठा और मेहनत करने के बावजूद जीवन में एक भारीपन और ठहराव महसूस करते हैं। धन संबंधी रुकावटें, परिवार में बार-बार झगड़े या मन के भीतर कोई गहरी ग्लानि, ये सब ऐसे लगते हैं जैसे पिछले कर्मों की अदृश्य बेड़ियाँ हमें रोक रही हों। शास्त्रों में कहा गया है कि यह स्थिति अक्सर कर्म बंधन के कारण पैदा होती है। शनिदेव कर्मों के अनुसार फल और न्याय देने वाले देवता हैं, जो इन बंधनों को समाप्त करने में सहायक माने जाते हैं। वहीं, जब न्याय के साथ कृपा और करुणा का संयोग हो जाए, तो मुक्ति का मार्ग और भी सरल दिखने लगता है। यही इस विशेष पूजा का सार है—शनि देव की अनुशासन शक्ति और भगवान श्री कृष्ण की करुणा का दिव्य संगम। यह महापूजा इस बार शनिवार और उत्पन्ना एकादशी के संयोग में होने जा रही है, जो एक सुनहरा अवसर है।
✨ पद्म पुराण में वर्णित है कि उत्पन्ना एकादशी वह दिन है, जब एकादशी देवी का उद्भव पापों के नाश के लिए हुआ। जब यह एकादशी शनिवार के दिन पड़े—जो शनि देव का दिन है—तो यह दिन कर्म शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत शुभ हो जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के पास स्थित कोसी कलां मंदिर में यह साधना और भी कृपामयी और फलदायी हो जाती है।
✨ इस महापूजा में विष्णु सहस्रनाम पाठ द्वारा भगवान कृष्ण से कृपा और क्षमा की प्रार्थना की जाएगी। साथ ही शनि तिल तेल अभिषेक और दान द्वारा शनि देव की उग्र ऊर्जा को शांत किया जाता है, जिससे दुख और रुकावट धीरे-धीरे अनुशासन और आत्मबल में बदलने लगते हैं। इसी के साथ ही संध्या के समय दीपदान किया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है और नए मार्ग खुलने का संकेत भी।
🔥 यह विशेष पूजा, श्री मंदिर के माध्यम से, आपके जीवन में कर्म विमोचन, शांति और आगे बढ़ने की नई दिशा लाने का एक पवित्र अवसर प्रदान कर सकती है।