कभी-कभी मन में अनजानी बेचैनी रहती है और जीवन में बार-बार रुकावटें आती हैं। ऐसा लगता है जैसे हम अपने पिछले कर्मों का भार उठाए हुए हैं। हम अच्छा जीवन जीने की पूरी कोशिश करते हैं, फिर भी परेशानियाँ खत्म नहीं होतीं। शास्त्रों में कहा गया है कि हमारे जीवन की अनेक कठिनाइयाँ हमारे किए गए ज्ञात या अज्ञात पापों से उत्पन्न होती हैं। ये पाप आत्मा पर बोझ बनकर उसे दुख और संघर्ष के चक्र में बाँध देते हैं। यही कारण है कि आत्मा को सच्ची शांति और मुक्ति (मोक्ष) नहीं मिल पाती। इन गहरे कर्म बंधनों से छुटकारा पाने का सबसे प्रभावी मार्ग भगवान श्री कृष्ण की भक्ति मानी जाती है विशेषकर उत्पन्ना एकादशी के दिन, जिस दिन स्वयं एकादशी शक्ति प्रकट हुई थी।
पुराणों में इस तिथि की कथा अत्यंत पवित्र मानी गई है। कहा गया है कि एक समय असुर मुर ने स्वर्गलोक में भारी उत्पात मचाया और देवताओं को हरा दिया। तब भगवान श्री विष्णु ने उससे युद्ध किया। युद्ध के बीच भगवान के शरीर से एक दिव्य स्त्री शक्ति प्रकट हुई जिसे एकादशी देवी कहा गया। उन्होंने असुर मुर का तुरंत अंत कर दिया। उनकी शक्ति और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि जिस तिथि पर उनका प्रकट होना हुआ, वह एकादशी कहलाएगी। जो भी भक्त इस दिन व्रत रखेगा या भगवान की पूजा करेगा, वह अपने पापों के भारी बोझ से मुक्त होकर वैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा। इसी कारण से उत्पन्ना एकादशी को पाप मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की सबसे श्रेष्ठ तिथि माना जाता है।
इसी दिव्य ऊर्जा को जागृत करने के लिए इस दिन गीता पाठ महोत्सव विशेष पूजा की जाती है। श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुई भगवद गीता का अखंड पाठ 24 घंटे निरंतर चलता है। गीता हमें सही कर्म करने, परिणाम की चिंता छोड़ने और धर्म के मार्ग पर चलने की सीख देती है जो मुक्ति का मार्ग है। वहीं, विष्णु सहस्रनाम पाठ मन और हृदय को शुद्ध करने वाला माना गया है। उत्पन्ना एकादशी पर वृंदावन के श्री कृष्ण मंदिर में यह पूजा करना भगवान को समर्पित अत्यंत सर्वोच्च भक्ति मानी जाती है, जो कर्म के चक्र को समाप्त करने में सहायक होती है।
इस उत्पन्ना एकादशी पर श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में शामिल होकर जीवन में शांति, उपचार और दिव्य सुरक्षा को आमंत्रित करें।