✨ पद्म पुराण के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली उत्पन्ना एकादशी वह पवित्र तिथि है जब देवी एकादशी का प्रकट हुई थी। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने असुर मुर का नाश करने के लिए अपनी शक्ति से देवी एकादशी को उत्पन्न किया। यह तिथि दिव्य चेतना की उस विजय का प्रतीक है जो अंधकार, नकारात्मकता और कर्म बाधाओं पर विजय पाती है। इस दिन का व्रत और त्रि नारायण महायज्ञ मन को पवित्र करने, अदृश्य बाधाओं को दूर करने और स्वास्थ्य, ज्ञान तथा समृद्धि के द्वार खोलने में सहायक माना जाता है। ऋषियों ने सदियों से कहा है कि एकादशी पर त्रि नारायण (भगवान के तीन रूपों) की पूजा जीवन में भाग्य और परिस्थितियों को परिवर्तित करने की अद्भुत शक्ति रखती है। यह महायज्ञ संरक्षण, स्वास्थ्य और सौभाग्य प्रदान करने वाले तीन देवताओं के आशीर्वाद के लिए किया जाता है।
✨ पुराणों में इस दिव्य त्रय का महत्व बहुत सुंदर रूप से समझाया गया है। जब देवों को संरक्षण की आवश्यकता हुई, उन्होंने भगवान विष्णु की शरण ली। जब उन्हें प्रकाश, ऊर्जा और स्वास्थ्य चाहिए था, तब उन्होंने सूर्य देव की उपासना की। और जब उन्हें मार्गदर्शन तथा ज्ञान चाहिए था, तब उन्होंने देव गुरु बृहस्पति से प्रार्थना की। जब भगवान विष्णु (रक्षा और समृद्धि), सूर्य देव (स्वास्थ्य और जीवनशक्ति) और देव गुरु बृहस्पति (ज्ञान और सौभाग्य) का आह्वान एक ही महायज्ञ में किया जाता है, तब माना जाता है कि जीवन को पूर्ण दिव्य सुरक्षा का घेरा प्राप्त होता है। इस समय विष्णु सहस्रनाम पाठ किया जाता है, जिसमें भगवान के हजार नामों का स्मरण होता है, जो मन की चिंता को शांत कर समृद्धि को आकर्षित करने वाला माना जाता है।
✨ इस विशेष अनुष्ठान में भगवान विष्णु के आशीर्वाद के लिए विष्णु सहस्रनाम पाठ किया जाता है। सूर्य देव को 108 अर्घ्य अर्पित किए जाते हैं, जिनसे जीवन में ऊर्जा, आत्मविश्वास और स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इसके बाद त्रि नारायण को समर्पित अग्नि हवन किया जाता है, जिसमें अग्नि तत्व नकारात्मक कर्मों को जलाकर सफलता और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना जाता है। उत्पन्ना एकादशी पर इस महायज्ञ का करना गहरी भक्ति का प्रतीक है, जो जीवन को संतुलित कर स्वास्थ्य, धन और स्थायी सफलता प्रदान करने का मार्ग खोलता है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और अपने जीवन में शांति और दिव्य संरक्षण का आशीर्वाद पाएं ।