🪔 सनातन धर्म में शुक्रवार को देवी माँ की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ब्रह्मांड की दिव्य शक्तियाँ सबसे अधिक करुणामयी और फलदायी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, शुक्रवार का स्वामी शुक्र ग्रह है, जो सौंदर्य, समृद्धि और संतुलन का प्रतीक है—ये सभी गुण स्वयं मां शक्ति का स्वरूप हैं। इसलिए, शुक्रवार को देवी की पूजा करने से धन, सुख, शांति और नकारात्मकता से सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। इस शुक्रवार को मां विंध्यवासिनी धाम में विशेष पूजन और नव चंडी हवन होने जा रहा है, जो अपने आप में सुनहरा अवसर है।
🪔 देवी महात्म्य (मार्कंडेय पुराण) में वर्णन है कि देवी ने महिषासुर और उसके जैसी अनेकों बुरी शक्तियों का वध कर देवताओं की रक्षा की। विजय के बाद उन्होंने विंध्याचल पर्वत को अपना निवास स्थान चुना और उन्हें माँ विंध्यवासिनी कहा जाने लगा। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि शक्तिपीठ माना गया है—जहाँ मां सती का एक अंग गिरा था। यहाँ किया गया नवचंडी हवन भक्तों को सीधे देवी की प्रचंड शक्ति से जोड़ता है, जिससे बड़े से बड़े संकट भी दूर हो सकते हैं।
🪔 नवचंडी हवन, देवी की नौ स्वरूपों की उपासना का विशेष अनुष्ठान है। इसमें मां दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों का पाठ और अग्नि में आहुतियाँ दी जाती हैं। ये आहुतियां, समर्पण का प्रतीक हैं—जिसमें भक्त माँ विंध्यवासिनी से प्रार्थना करते हैं कि वह भीतर और बाहर की सभी नकारात्मक शक्तियों, बाधाओं और गरीबी को दूर कर समृद्धि और उन्नति की राह दिखाएं। शुक्रवार जैसे शुभ दिन पर यह हवन कराने से सफलता, विजय और मानसिक शांति की प्राप्ति अनेक गुना बढ़ सकती है।
🌸 यह विशेष पूजा, श्री मंदिर के माध्यम से, आपके जीवन में शांति, सुरक्षा और कल्याण की दिव्य ऊर्जा को आमंत्रित करती है।