🔹 सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन बहुत शुभ माना गया है, क्योंकि यह शुक्र ग्रह से जुड़ा होता है। शुक्र देव को धन, वैभव, आराम, सुंदरता और समृद्धि का कारक माना गया है। ऐसा विश्वास है कि शुक्रवार की ऊर्जा अपने आप ही समृद्धि आकर्षित करती है और आर्थिक परेशानियाँ दूर करती है। अगर इस दिन श्रद्धा से माँ लक्ष्मी की पूजा की जाए, तो जीवन में धन, स्थिरता और सौभाग्य बढ़ता है लेकिन सिर्फ धन कमाना ही काफी नहीं है, उसे सुरक्षित रखना भी उतना ही ज़रूरी है। इसी कारण भगवान कुबेर, जो देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं, और भगवान बटुक भैरव, जो सबकी रक्षा करते हैं, की संयुक्त पूजा बहुत प्रभावशाली मानी जाती है। जब इनके साथ माँ लक्ष्मी की उपासना होती है, तो यह पूजा एक दिव्य संगम बन जाती है जो धन, स्थिरता और सुरक्षा तीनों का आशीर्वाद देती है।
🔹 पुराणों के अनुसार, भगवान कुबेर ने शिवजी की कठोर तपस्या की थी। प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें सभी लोकों की धन-संपत्ति की रक्षा का दायित्व दिया। वहीं, भगवान बटुक भैरव स्वयं शिव का उग्र और रक्षक रूप हैं, जो भय, बाधा और नकारात्मकता को नष्ट करते हैं। इसलिए जब इन दोनों देवताओं की एक साथ पूजा होती है, तब जीवन में उन्नति और सुरक्षा दोनों का आशीर्वाद मिलता है इस खास कुबेर-भैरव-लक्ष्मी पूजा में शुक्रवार के दिन वैदिक विधियों से पूजा की जाती है। इसमें आचार्य 11,000 बार कुबेर मंत्र का जाप करते हैं, जिससे धन और नए अवसर जीवन में आते हैं।
🔹 इसके बाद इस अनुष्ठान में शामिल श्री सूक्त हवन के माध्यम से माँ लक्ष्मी से घर में शुभता और समृद्धि का आशीर्वाद माँगा जाता है। अंत में श्री बटुक भैरव कवच पाठ किया जाता है, जिससे आपके परिवार के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच बन सकता है और धन की रक्षा भी सामान्य से कहीं ज्यादा मजबूत हो सकती है।
श्री मंदिर के माध्यम से की जाने वाली यह विशेष पूजा आपके जीवन में धन प्राप्ति, उसकी सुरक्षा और दीर्घकालिक समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।