🌙 डरावने सपनों से घबराते हो? 🧠 ज़रूरत से ज़्यादा सोचते हो? या फिर मानसिक बेचैनी ने घेर रखा है? इस निर्जला एकादशी, मिलेगी हर मानसिक परेशानी से राहत 🪔
निर्जला एकादशी, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है और यह वर्ष की सबसे कठिन एकादशियों में से एक मानी जाती है। इसे भीम एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत काल में पांडवों में से भीम को हर एकादशी का व्रत करना कठिन लगता था। तब महर्षि वेदव्यास ने उन्हें केवल इस एक निर्जला व्रत को रखने का परामर्श दिया, जिससे उन्होंने सभी एकादशियों का पुण्य अर्जित किया। हालांकि इस दिन का सच्चा आध्यात्मिक प्रभाव तब प्रकट होता है जब ब्रह्म मुहूर्त में भगवान विष्णु की आराधना की जाए। ब्रह्म मुहूर्त, जो सूर्योदय से लगभग डेढ़ से दो घंटे पूर्व का समय होता है, मानसिक शांति और आत्मिक जागरूकता के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है।
इस शुभ घड़ी में भगवान विष्णु की पूजा से उनके संरक्षण, सत्त्वगुण और शांति की ऊर्जा जाग्रत होती है। विष्णु सहस्रनाम का जाप मानसिक स्पष्टता और भक्तिभाव को सक्रिय करता है, जबकि शंख में केसरयुक्त जल से किया गया अभिषेक भावनात्मक तनाव और मानसिक बाधाओं को दूर करने का प्रतीक होता है। यह पूजा पूर्ण मौन और समर्पण के साथ की जाती है, जो मन की शुद्धि और आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करती है। इसे वैदिक मनोशुद्धि और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त करने का एक प्रभावशाली माध्यम माना गया है।
जानिए कैसे बन सकता है यह दिन आपकी शांति और संतुलन का सबसे बड़ा माध्यम 🧘♀️ 🌿
निर्जला एकादशी की पूजा उन भक्तों के लिए विशेष लाभकारी होती है जो मानसिक तनाव, चिंता, अनिद्रा और डरा देने वाले सपनों से परेशान रहते हैं। विष्णु सहस्रनाम के जाप से मन के व्याकुल विचार शांत होते हैं और सत्त्व गुणों का विकास होता है। शंख-केसर जल अभिषेक के माध्यम से मन की उलझनों को भगवान तक पहुंचाया जाता है, जिससे आंतरिक शांति, संतुलन और सशक्तता प्राप्त होती है। इसलिए, निर्जला एकादशी के ब्रह्म मुहूर्त पर तिरुनेलवेली, तमिलनाडु के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में विष्णु सहस्रनाम जाप और शंख-केसर जल अभिषेक का आयोजन किया जाता है। यह अवसर भक्तों के लिए अपने अंदर के मन को पुनः स्वच्छ, शांत और सशक्त बनाने का दुर्लभ अवसर है।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और जगत के पालनहार भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करके अपने आंतरिक संसार को संतुलित एवं सशक्त बनाएं।