आज के समय में मन का भ्रम, उलझन और सही निर्णय लेने में कठिनाई बहुत आम हो गई है। तेज़ रफ्तार जीवन, काम की ज़िम्मेदारियाँ और भविष्य की चिंता मन को भारी बना देती हैं। कई बार हम समझ ही नहीं पाते कि हमें क्या रोक रहा है और किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे समय में मानसिक स्पष्टता और आंतरिक शांति बहुत ज़रूरी हो जाती है। सनातन परंपरा के अनुसार सोमवार का दिन चंद्रमा और भगवान शिव से जुड़ा माना जाता है। चंद्रमा मन का स्वामी है और शिव शांति व समाधि के प्रतीक हैं। वहीं कालाष्टमी, जो कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है, भगवान काल भैरव को समर्पित है।
काल भैरव, शिव का उग्र रूप हैं और समय के स्वामी व विघ्न-बाधा नाशक माने जाते हैं। इसलिए सोमवार और कालाष्टमी का संयोग मानसिक शुद्धि और सही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है। इस दिन माँ तारा की साधना का महत्व बहुत बढ़ जाता है। माँ तारा दस महाविद्याओं में दूसरी महाविद्या हैं और उन्हें बुद्धि, वाणी और ज्ञान की देवी कहा जाता है। समुद्र मंथन की कथा से उनकी करुणा और मातृत्व का महत्व समझ आता है। जब हलाहल विष निकला तो शिव ने उसे पीकर सृष्टि को बचाया, पर वे अचेत हो गए। उस समय माँ तारा प्रकट हुईं और अपने मातृत्व भाव से शिव जी की रक्षा की। तभी से उन्हें ऐसी दिव्य माता माना जाता है जो हमारे जीवन के हर विष चाहे वह बीमारी हो, भय हो या दुख को आशीर्वाद और उपचार में बदल देती हैं।
माँ की इसी दिव्य कृपा को आमंत्रित करने के लिए शक्तिपीठ माँ तारापीठ मंदिर में 21,000 बीज मंत्रों के जाप का आयोजन किया जा रहा है। यह जाप मन को स्थिर, शांत और एकाग्र बनाने के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। साथ ही तंत्रोक्त यंत्र की स्थापना भी की जाएगी। इसके साथ नील सरस्वती हवन का आयोजन भी किया जा रहा है। सनातन धर्म में माँ नील सरस्वती देवी सरस्वती का एक विशेष रूप हैं, जिन्हें ज्ञान, संगीत, बुद्धि और कला की देवी माना जाता है। परंतु नील सरस्वती का स्वरूप थोड़ा भिन्न है। इनका रंग नीला होता है और वे शत्रुओं के भय और मानसिक उलझनों को दूर करने वाली शक्तिशाली देवी रूप में पूजी जाती हैं।
यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो मानसिक तनाव, भ्रम और अनिर्णय से परेशान हैं। विद्यार्थी, व्यापारी, नौकरी करने वाले और बड़े निर्णय लेने वाले सभी को इससे लाभ मिलता है। माँ तारा की कृपा से साधक को मानसिक स्पष्टता, सही निर्णय की क्षमता और आत्मबल प्राप्त होता है। यह अनुष्ठान कालाष्टमी के दिन शक्तिपीठ माँ तारापीठ मंदिर में आयोजित हो रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से आप भी इसमें सम्मिलित होकर माँ तारा और नील सरस्वती की कृपा पा सकते हैं।