जानें कैसे हुई मंगलनाथ महादेव मंदिर की उत्पत्ति 🕉️
आखिर क्या होता है मांगलिक दोष? 😲
महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित मंगलनाथ महादेव मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर को मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है। कथानुसार, भगवान शिव और असुर अंधकासुर के बीच हुए भयंकर युद्ध के दौरान भगवान शिव के पसीने की एक बूंद धरती पर गिरी थी, जिससे मंगल ग्रह का जन्म हुआ। इसके बाद मंगल ने अंधकासुर के शरीर से सारा रक्त सोखकर लाल रंग धारण कर लिया। उसी स्थान पर देवताओं ने एक शिवलिंग की स्थापना की, जिसे मंगलनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर मांगलिक दोष निवारण और वैवाहिक जीवन में शांति स्थापित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 'मंगल दोष' एक ऐसा दोष है जो मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ माना जाता है। मान्यता है कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल के कुछ घरों में स्थित होने से यह दोष उत्पन्न हो सकता है। मंगल दोष को विशेष रूप से अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह विवाह में देरी के साथ-साथ वैवाहिक जीवन में कलह, संघर्ष और अन्य अनचाही बाधाओं को उत्पन्न कर सकता है। यह दोष पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है। माना जाता है कि इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए उज्जैन का मंगलनाथ महादेव मंदिर विख्यात है, यहां मंगल दोष निवारण महापूजा, भात पूजा और श्री मंगलनाथ महाभिषेक करना अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में भाग लेकर मंगलनाथ महादेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं।