⚡ क्या अदृश्य बाधाएँ, विरोध या नकारात्मक ऊर्जा आपके जीवन की राह में रुकावट बन रही हैं?
जीवन में कई बार ऐसी चुनौतियाँ सामने आती हैं जो दिखाई नहीं देतीं – छुपे हुए विरोध, सूक्ष्म कर्म संबंधी अवरोध या नकारात्मक शक्तियाँ, जो मन की शांति और प्रगति को प्रभावित करती हैं। ऐसे समय में प्रचंड देवी शक्ति का कवच आवश्यक माना जाता है।
2 अक्टूबर 2025, शुक्ल पक्ष दशमी का गुरुवार, ऐसा ही एक शुभ दिन है, जो देवी की रक्षात्मक कृपा को प्राप्त करने के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है। सनातन धर्म में गुरुवार को ज्ञान, शक्ति और आध्यात्मिक संरक्षण का दिन कहा गया है। इसीलिए इस दिन महाविद्याओं में से माँ बगलामुखी और देवी प्रत्यंगिरा की विशेष आराधना की जाती है। ये दोनों देवियाँ नकारात्मकता को शांत करने, अदृश्य आक्रमणों को नष्ट करने और दिव्य सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए जानी जाती हैं।
इस अवसर पर श्री मंदिर की ओर से बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच पाठ, सवा लाख मूल मंत्र जाप और एक विशेष महा हवन का आयोजन किया जा रहा है। यह केवल साधारण अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि गहन आध्यात्मिक साधनाएँ हैं, जिनका उद्देश्य नकारात्मक प्रभावों को दूर करना, दृष्टि दोष को कम करना और सूक्ष्म ग्रह या कर्म संबंधी असंतुलन को संतुलित करना है।
माँ बगलामुखी को ऐसी देवी माना जाता है जो शत्रुओं को मौन करती हैं और हानिकारक कार्यों को रोकती हैं। वहीं देवी प्रत्यंगिरा प्रचंड रक्षक रूप हैं, जो गहराई में बैठी नकारात्मकता को नष्ट कर देती हैं और भक्तों को निडरता का कवच प्रदान करती हैं। मंत्र, कवच पाठ और हवन से इन दोनों देवियों का आह्वान करने पर एक दिव्य कवच का निर्माण होता है जो मन, घर और भाग्य की रक्षा करता है।
✨ यह अनुष्ठान देवी के उस दिव्य कवच को पाने का एक दुर्लभ अवसर है जो जीवन को दिखाई और अदृश्य सभी प्रकार की हानियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और उस दिव्य शक्ति से जुड़ें जो रक्षा करती है, शुद्ध करती है और सशक्त बनाती है।