🙏 शनि अमावस्या पर मां बगलामुखी, मां प्रत्यंगिरा और शनिदेव की आराधना का दुर्लभ अवसर
शनि अमावस्या एक दुर्लभ संयोग है, जब अमावस्या शनिवार को पड़ती है। इस शनिवार साल की आखिरी शनि अमावस्या आ रही है। यह संयोग शनि देव के साथ-साथ मां बगलामुखी, मां प्रत्यंगिरा जैसी उग्र शक्तियों की आराधना के लिए बेहद शुभ और फलदायी माना गया है। जो भक्त नकारात्मकता और अदृश्य ताकतों से परेशान हैं, जीवन तहस-नहस हो रखा है, इस अनुष्ठान से त्रि-शक्ति की कृपा से जीवन को राहत की नई दिशा देने की शक्ति रखते हैं।
सनातन धर्म में शनि अमावस्या को गुप्त-तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए शुभ माना गया है। यही कारण है कि यह दिन माँ बगलामुखी और देवी प्रत्यंगिरा की कृपा पाने के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली हो जाता है। ये दोनों देवियाँ नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने और छिपे हुए खतरों से बचाने के लिए जानी जाती हैं। इस खास दिन पर श्री मंदिर की ओर से 1 लाख 25 हजार बगलामुखी मंत्र जाप, मां प्रत्यंगिरा कवच पाठ और शनि शांति यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। ये पूजा सिर्फ आम प्रार्थनाएँ नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक उपाय हैं, जिनका उद्देश्य जीवन से नकारात्मक असर को हटाना, बुरी नज़र से बचाना और ग्रह या कर्म संबंधी दोषों को शांत करना है।
1 लाख 25 हजार मां बगलामुखी मूल मंत्र जाप और प्रत्यंगिरा कवच पाठ से नकारात्मक शक्तियों का नाश, शत्रु बाधा निवारण और मानसिक दृढ़ता की प्राप्ति संभव है। यह साधना देवी की दिव्य शक्ति को जागृत कर जीवन में सुरक्षा, स्थिरता और आत्मविश्वास बढ़ा सकती है। वहीं, शनि शांति यज्ञ शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए कराया जाता है। मान्यता है कि वैदिक मंत्रोच्चार और आहुति से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, जीवन में स्थिरता और ज़रूरी कार्यों में सफलता के रास्ते खुलने शुरू हो जाते हैं।
साल की आखिरी शनि अमावस्या पर मां बगलामुखी, मां प्रत्यंगिरा और शनिदेव की संयुक्त आराधना से नकारात्मक शक्तियों, शत्रु बाधाओं और अशुभ ग्रह प्रभावों से रक्षा की दिशा मिलती है। श्रद्धापूर्वक इस अनुष्ठान में भाग लेने से जीवन में साहस, स्थिरता, शनि कृपा तो होती ही है, साथ ही जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का आशीर्वाद मिलता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और उस शक्ति से जुड़ें, जो रक्षा करती है, शुद्ध करती है और आपको भीतर से मजबूत बनाती है।