🔱 गुप्त नवरात्रि की पंचमी तिथि पर आयोजित विशेष अनुष्ठानों से पाएं नकारात्मक ऊर्जा और निर्भयता से राहत का दिव्य आशीर्वाद 🔱
गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के विभिन्न शक्तिशाली रूपों की आराधना की जाती है और इस काल में विशेष तांत्रिक व गूढ़ साधनाएं की जाती हैं। यह समय साधना, हवन और मंत्र जाप के लिए अत्यंत शुभ माना गया है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस अवधि में देवी की ऊर्जा जाग्रत और अत्यंत प्रभावशाली रहती है। विशेषकर पंचमी तिथि को की गई साधना भीतर के डर, अस्थिरता और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाने में अत्यधिक सहायक मानी जाती है। इस दिन किए गए विशेष अनुष्ठान जैसे कि पंचमुखी दुर्गा की पूजा और 5 तत्वों से जुड़ा महा हवन, साधक के जीवन में पाँच दिशाओं और पाँच आयामों का संतुलन स्थापित करते हैं। पूर्व (प्रकाश), पश्चिम (रक्षा), उत्तर (करुणा), दक्षिण (विवेक) और ऊर्ध्व (ब्रह्मचेतना)। यह संतुलन साधक को मानसिक दृढ़ता, भावनात्मक स्थिरता और आध्यात्मिक निर्भयता प्रदान करता है।
इस पावन पंचमी तिथि पर पंचमुखी माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने हेतु श्री मंदिर द्वारा विशेष पूजा का आयोजन पवित्र श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर, कुरुक्षेत्र में किया जाएगा। यह शक्तिपीठ 52 प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक माना गया है। यहां माँ सती का दाहिना टखना गिरा था। यह स्थान केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, अपितु ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ यहाँ माँ भद्रकाली की पूजा कर युद्ध में विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था। ऐसा कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में इस स्थान पर की गई पूजा से देवी के उग्र किन्तु करुणामयी रूप का आह्वान होता है, जो साधक को भय, भ्रम और संकटों से उबारकर आत्मबल और निर्भयता का आशीर्वाद प्रदान करती है।
गुप्त नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य शक्तिपीठ अनुष्ठान में भाग लें।