चातुर्मास के बाद शुरू होने वाले मार्गशीर्ष माह को विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस माह को विवाह उत्सव काल के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी होती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और पुण्य अर्जित करने के लिए महत्वपूर्ण भी है। इस दिन न केवल भगवान विष्णु बल्कि बृहस्पति की भी पूजा की जाती है क्योंकि भगवान विष्णु बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस ग्रह को विवाह का कारक माना जाता है। अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में है, तो आप अपने वैवाहिक जीवन में सुखी रहेंगे, आपको मनचाहा जीवनसाथी मिलेगा और आपके पार्टनर के साथ कोई विवाद नहीं होगा। लेकिन वहीं, अगर कुंडली में बृहस्पति अशुभ स्थिति है, तो कई तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है जैसे: विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, पार्टनर के बीच विवाद होना। कुंडली में बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति को कम करने के लिए, मोक्षदा एकादशी पर बृहस्पति ग्रह और भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
इस दिन लोग भगवान विष्णु एवं बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते हैं जिसमें से बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप और सुदर्शन हवन शामिल है। बृहस्पति मूल मंत्र देव गुरु बृहस्पति को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। मान्यता है कि एकादशी पर इस मंत्र का जाप करने से बृहस्पति के नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है। वहीं सुर्दशन हवन भगवान विष्णु को समर्पित एक अग्नि अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान में भगवान विष्णु को समर्पित मंत्रोच्चार के साथ अग्नि में आहुतियां दी जाती है। सुदर्शन हवन, धन के सर्वोच्च देवता के हाथों में सर्वोच्च पारलौकिक हथियार सुदर्शन चक्र की शक्ति का आह्वान करता है। यह सभी तरह के कष्टों को दूर करने के लिए किया जाने वाला अग्नि अनुष्ठान है। इसलिए, मोक्षदा एकादशी के शुभ दिन पर काशी में विराजित श्री बृहस्पति मंदिर में 16000 बृहस्पति ग्रह मूल मंत्र जाप और सुदर्शन हवन का आयोजन किया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस जीवंत मंदिर में स्वतः देव गुरु विराजते है और उन्हे यह स्थान भगवान शिव ने दिया था। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और एक आदर्श जीवनसाथी एवं रिश्ते का आनंद पाने के लिए आशीष प्राप्त करें।