दिव्य आशीर्वाद के साथ अपनी समृद्धि, नई शुरुआत और असीमित रचनात्मकता के मार्ग खोलें।🙏✨
पवित्र त्रिवेणी संगम पर महाकुंभ और बसंत पंचमी पर आयोजित शक्तिशाली अनुष्ठान में भाग लें। 🚩🙏✨
सनातन धर्म में, हर 12 साल में मनाया जाने वाला महाकुंभ उत्सव, आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह प्रयागराज में आयोजित किया जाता है, जिसे गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पवित्र संगम और तीर्थराज के रूप में भी जाना जाता है। यह भव्य आयोजन खगोलीय घटनाओं के साथ होता है। जब बृहस्पति वृषभ राशि और सूर्य मकर राशि के साथ संरेखित होता है, तब महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। 2025 में, यह दुर्लभ संगम के दौरान बसंत पंचमी भी पड़ रही है। बसंत पंचमी, जिसे वसंत पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है, माघ के पांचवें दिन मनाई जाती है। यह वसंत के आगमन का प्रतीक है और देवी सरस्वती, जो कि विद्या, रचनात्मकता और संगीत की दिव्य अवतार हैं, उनको समर्पित है। इस त्योहार का समय पूर्वाह्न काल, सूर्योदय और दोपहर के बीच की अवधि से निर्धारित होता है, जिसके दौरान पंचमी तिथि प्रबल होती है। कभी-कभी, यह चतुर्थी तिथि को हो भी सकती है। बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, एक असाधारण शुभ समय जब पंचांग के परामर्श की आवश्यकता नहीं होती है। यह विवाह, गृह प्रवेश और नए उद्यम जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों के लिए एक आदर्श दिन माना जाता है।
एक पौराणिक कथानुसार बसंत पंचमी का दिन कालिदास से जुड़ा हुआ है, जिन्हें देवी सरस्वती ने आशीर्वाद दिया था, जिससे वे एक प्रसिद्ध कवि बन गए। 2025 में महाकुंभ और बसंत पंचमी का मिलन गहरा आध्यात्मिक महत्व जोड़ता है, जिससे अनगिनत भक्त दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने और इस जीवंत त्योहार को मनाने के लिए प्रयागराज आते हैं। इसीलिए इस शुभ अवसर पर श्री मंदिर द्वारा प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गणेश-लक्ष्मी-सरस्वती महापूजा और विद्या-आरंभम पूजा का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्तों को समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस पवित्र अनुष्ठान में बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश, धन और प्रचुरता के लिए देवी लक्ष्मी और ज्ञान और रचनात्मकता के लिए देवी सरस्वती का आह्वान किया जाता है। वहीं विद्या-आरंभम पूजा बच्चों को शिक्षा की शुरुआत के लिए देवी सरस्वती से आशीष प्राप्त करने में सहायक है। ये अनुष्ठान समृद्धि और नई शुरुआत के लिए सर्वोत्तम अवसर प्रदान करते हैं, साथ ही ज्ञान और रचनात्मकता को भी बढ़ावा देते हैं। आप भी इस शुभ अवसर पर इस पवित्र अनुष्ठान से जुड़ें और भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और सरस्वती का संयुक्त आशीष प्राप्त करें।