कई बार मेहनत और अनुशासन के बावजूद भी जीवन में आर्थिक प्रगति रुक-सी जाती है। कभी अवसर रुक जाते हैं, कभी आय में उतार-चढ़ाव आने लगता है, या कभी जमा किया हुआ धन भी टिक नहीं पाता। शास्त्रों में इसे दुर्भाग्य नहीं, बल्कि धन की ऊर्जा में असंतुलन माना गया है। सच्ची समृद्धि तभी आती है जब धन आकर्षित भी हो, सुरक्षित भी रहे और निरंतर बढ़ता भी रहे। इसी संतुलन को स्थापित करने के लिए मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी के शुभ दिन पर स्वर्णाकर्षण भैरव एवं महालक्ष्मी धन आकर्षण महायज्ञ कराया जाता है, जिसमें आकर्षण, सुरक्षा और स्थिरता — इन तीनों दिव्य शक्तियों का आह्वान होता है।
धन की त्रिमूर्ति: आकर्षण – सुरक्षा – वृद्धि
प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि धन का प्रवाह तब सुचारू होता है जब तीन देवताओं का आशीर्वाद साथ में मिले:
माँ कमला महालक्ष्मी — नई अवसरों और धन को आकर्षित करने वाली शक्ति।
भगवान स्वर्णाकर्षण भैरव — प्राप्त धन को हानि, बुरे प्रभाव और अस्थिरता से बचाने वाले रक्षक।
भगवान कुबेर — धन को सही दिशा में संभालकर निरंतर बढ़ाने वाले दिव्य खजांची।
इस महायज्ञ में वैदिक आचार्य 11,000 स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप करते हैं, जिससे आर्थिक सुरक्षा की एक दिव्य कवच-ऊर्जा बनती है। साथ ही कमला लक्ष्मी और कुबेर मंत्र जाप से जीवन में समृद्धि, अवसर और स्थिरता का प्रवाह बढ़ता है। अनुष्ठान के अंत में 108 स्वर्ण दीप दान किया जाता है, जिसमें स्वर्ण-प्रभा से दमतें दीपक अग्नि में अर्पित किए जाते हैं — जो प्रकाशमान और स्थायी धन का प्रतीक है।
भैरव जयंती का विशेष महत्व
भैरव जयंती भगवान काल भैरव के प्रकट होने का पवित्र दिवस है — जो समय, सुरक्षा और जीवन की दिशा के अधिपति माने जाते हैं। इस दिव्य समय में किया गया स्वर्णाकर्षण भैरव का आह्वान धन की रक्षा करने और अचानक आने वाली आर्थिक परेशानियों को दूर करने में अत्यंत प्रभावी माना गया है। यह दिव्य यज्ञ न केवल धन लाने की शक्ति देता है, बल्कि उसे बनाए रखने और बढ़ाने की सामर्थ्य भी प्रदान करता है — ताकि समृद्धि केवल आज के लिए नहीं, आने वाली पीढ़ियों तक बनी रहे।
यह विशेष पूजा श्री मंदिर के माध्यम से आपके जीवन में आकर्षण, सुरक्षा और स्थिरता — तीनों का दिव्य आशीर्वाद लाती है।