💰 सनातन धर्म में कपाल भैरव भगवान शिव के 64 भैरवों में से एक अत्यंत उग्र और तांत्रिक स्वरूप माने जाते हैं। इनके मस्तक पर कपाल (खोपड़ी) धारण होने के कारण इन्हें कपाल भैरव कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कपाल भैरव मरण, मोह, भय और अज्ञान को नष्ट करने वाले देव हैं। वे भक्तों को अदृश्य नकारात्मक शक्तियों, बुरी नज़र, शत्रु बाधा और आंतरिक उथल-पुथल से उबारते हैं। कपाल भैरव की उपासना विशेष रूप से भैरव जयंती जैसे अवसरों पर बेहद फलदायी मानी गई है। इस अनुष्ठान में जब 1008 कपाल भैरव राहु-केतु शांति मंत्र जाप की शक्ति जुड़ती है तो इन ग्रह दोषों से रक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
💰 1,008 कपाल भैरव राहु-केतु शांति मंत्र जाप एक विशेष तंत्र युक्त और ग्रह शांति साधना है, जिसका उद्देश्य जीवन में राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करना है। कपाल भैरव, शिव के उस स्वरूप माने जाते हैं, जो भ्रम, भय, मानसिक अस्थिरता और अदृश्य नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करते हैं। जब-जब राहु और केतु की स्थिति जीवन में भ्रम, अचानक समस्याएं, भय, चिंता, कार्य में रुकावट पैदा करे, तब यह जाप अत्यंत प्रभावी माना गया है। भैरव जयंती पर विद्वान पुरोहितों द्वारा किए गए इस 1,008 मंत्र जाप से व्यक्ति को मानसिक स्पष्टता, सुरक्षा, आत्मबल और ग्रहों की शांति का दिव्य आशीष प्राप्त होता है।
💰 उज्जैन के विक्रांत भैरव मंदिर में किया जाने वाला 9-कपाल तिल तेल अभिषेक अत्यंत शक्तिशाली और रक्षक स्वरूप की उपासना है। इसमें श्री बटुक भैरव के नौ कपालों पर तिल के तेल से अभिषेक किया जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र और अदृश्य शत्रु बाधाओं को शांत करने में सहायक माना जाता है। इसके साथ किया जाने वाला नाग दान राहु-केतु और पितृ दोष की शांति के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। यह अनुष्ठान मन में स्थिरता, साहस और आत्म-रक्षा की शक्ति जागृत कर सकता है और जीवन के मार्ग में आ रही रुकावटों को धीरे-धीरे दूर करने में सहायक माना गया है।
🔔 भैरव जयंती के शुभ अवसर पर श्री मंदिर द्वारा उज्जैन के विक्रांत भैरव मंदिर में की जाने वाली राहु-केतु शांति पूजा का विशेष अवसर हाथ से न जाने दें। यह अनुष्ठान राहु-केतु के बुरे प्रभाव नष्ट कर जीवन में सफलता के नए-नए रास्ते खोल सकती है।