🔱 सनातन धर्म के अनुसार काल भैरव जयंती वह दिव्य दिन है जब भगवान काल भैरव का प्राकट्य धर्म की स्थापना और भक्तों की अदृश्य शक्तियों से रक्षा करने के लिए हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी उर्जा अपने चरम पर होती है तेजस्वी, उग्र, लेकिन भक्तों के प्रति करुणा से भरी हुई। इस दिन की साधना व्यक्ति को डर, उलझन और जीवन में आ रही बाधाओं पर विजय पाने की शक्ति देती है। सच्ची साधना के मार्ग में अनुशासन और सुरक्षा दोनों आवश्यक होते हैं, और यही दोनों वरदान भगवान काल भैरव प्रदान करते हैं। उज्जैन में भैरवदेव की पूजा विशेष फल देने वाली मानी गई है, क्योंकि यहाँ उनकी ऊर्जा सदैव जागृत रहती है। यहाँ की साधना भीतर दिव्य सतर्कता को जागृत करती है, जिससे साधक सुरक्षित रहता है, मन केंद्रित होता है और उसे मुक्ति और सत्य की ओर बढ़ने का मार्ग मिलता है।
🔱 शिव पुराण में वर्णित है कि एक समय ब्रह्मा जी ने अहंकार में स्वयं को सर्वोच्च कहा। इसे देखकर भगवान शिव क्रोधित हुए और उनके क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ। काल भैरव ने ब्रह्मा जी का पाँचवाँ सिर काटकर उनके अहंकार का अंत किया। इसी घटना से काल भैरव समय (काल) के स्वामी और अहंकार व नकारात्मकता के नाशक कहे गए। उनके हाथ में दंड (न्याय का संकेत) और कपाल पात्र (अहंकार के अंत का संकेत) होता है, जो साधक के भीतर और बाहर के दोनों प्रकार के शत्रुओं, भय और बाधाओं को नष्ट करता है।
🔱 काल भैरव जयंती की रात उज्जैन के विक्रांत भैरव मंदिर में 21 ब्राह्मणों द्वारा दिव्य अनुष्ठान संपन्न कराया जाएगा। जिसके अंतर्गत 1,08,000 काल भैरव मूल मंत्र जाप का आयोजन होगा। यह सामूहिक जाप भक्त के चारों ओर एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच बना सकता है, जो नकारात्मक प्रभावों और अदृश्य बाधाओं से बचाता है। आप इस जप से अभिमंत्रित भैरव सुरक्षा बॉक्स भी चुन सकते हैं, जो भक्तों को मानसिक स्थिरता, साहस और साधना में अनुशासन बनाए रखने की शक्ति का अनुभव करा सकता है।
🚩 श्री मंदिर द्वारा यह विशेष अनुष्ठान भय का अंत, बाधाओं का समाधान और जीवन के हर चरण में दिव्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूजनीय है।