सनातन धर्म में कालाष्टमी का महत्व केवल भगवान काल भैरव तक सीमित नहीं माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यह तिथि पितृ शांति और पूर्वजों से जुड़े कर्मों की शुद्धि के लिए अत्यंत प्रभावशाली होती है। मान्यता है कि इस पवित्र तिथि पर पितृ ऊर्जा प्रार्थनाओं, तर्पण और श्राद्ध से जुड़े अनुष्ठानों को बहुत सहजता से स्वीकार करती है। इसलिए भक्त इस दिन अपने पूर्वजों के लिए क्षमा, शांति और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। इस क्रम में साल की आखिरी कालाष्टमी को विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि यह पूरे वर्ष में पितृ ऋण और गहरे पितृ दोष को शांत करने का अंतिम अवसर माना गया है।
शास्त्रों में भगवान काल भैरव को समय के स्वामी और लोकों के बीच दिव्य द्वारपाल बताया गया है। इसलिए कालाष्टमी का दिन पितृ लोक तक प्रार्थनाएँ पहुँचाने के लिए अत्यंत अनुकूल माना गया है। विशेषकर गोकर्ण में नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध कराना अत्यंत फलदायी माना जाता है क्योंकि यह स्थान दक्षिण काशी के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इन अनुष्ठानों से पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में स्थिरता, प्रगति और सुरक्षा बढ़ती है।
🪔 गोकर्ण क्षेत्र, जिसे दक्षिण की काशी कहा गया है, कर्नाटक का एक अत्यंत पवित्र स्थान है जहां पितृ शांति से जुड़े अनुष्ठान अत्यधिक प्रभावशाली माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार यहां किए गए प्रत्येक आहुति और अर्पण का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। जिन लोगों को पितृ दोष के कारण नौकरी में अड़चनें, परिवार में कलह, बच्चों की शिक्षा में विलंब, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां या आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा हो, वे इन शक्तिशाली अनुष्ठानों से राहत और जीवन में संतुलन पा सकते हैं।
📿 गोकर्ण में नारायण बलि पूजा और त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व है। नारायण बलि पूजा उन पूर्वजों की शांति के लिए की जाती है जिनकी आत्माएं अधूरी इच्छाओं या कर्मों के कारण अशांत मानी जाती हैं। त्रिपिंडी श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनका श्राद्ध कभी हुआ ही नहीं या समय पर नहीं हो पाया। पितृ दोष शांति पूजा विवाह में बाधा, आर्थिक संघर्ष, स्वास्थ्य समस्याओं और परिवारिक कलह जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए की जाती है। गोकर्ण में इन अनुष्ठानों को करने से पूर्वजों को शांति देने, पितृ ऋण से राहत पाने और परिवार के लिए शांति, समृद्धि और उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त करने का मार्ग खुलता है।
इस साल की आखिरी कालाष्टमी पर श्री मंदिर के माध्यम से नारायण बलि विशेष पूजा में सम्मिलित होने का यह सुनहरा अवसर बिल्कुल न गंवाएं। यह एक दुर्लभ और अत्यंत शक्तिशाली अवसर है जिसमें आप अपने पूर्वजों का सम्मान कर सकते हैं और पितृ दोष से राहत के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।